फर्रुखाबाद में बाढ़ से मचा हाहाकार: चपेट में आए 50 से ज्यादा गांव, दाने-दाने को मोहताज हुए लोग

punjabkesari.in Tuesday, Aug 03, 2021 - 12:39 PM (IST)

फर्रूखाबाद: पहाड़ों पर बारिश होने से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। लगातार बांधो से पानी छोड़ा जा रहा है। आज सुबह गंगा में नरौरा बांध से 1 लाख 14 हजार 152 क्यूसेक,बिजनौर से 73839 क्यूसेक, हरिद्वार से 87113 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। पानी छोड़े जाने से नदी का जलस्तर 136.90 से बढ़कर 137.00 मीटर पर पहुंच गया है। ये खतरे के निशान से मात्र 10 सेंटीमीटर दूर है। 50 से अधिक गांवों तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है। शमसाबाद-शाहजहांपुर मार्ग पर भी दो फीट पानी बह रहा है। इसके बावजूद प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया है।


फर्रुखाबाद के गांव क्षेत्र में बाढ़ के कारण सड़क के किनारे डेरा डाले लोगों की स्थिति अलग ही कहानी बयां कर रही हैं। लोग माल-मवेशी लेकर सड़कों के किनारे धूप-बारिश में भीगते नजर आ रहे हैं। अमृतपुर क्षेत्र के तीस, कमालगंज के सात, शमसाबाद के 12 और बढ़पुर ब्लाक के छह से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। इन गांवों के लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। शमसाबाद क्षेत्र में कई परिवारों ने सड़क किनारे डेरा डाल दिया है। शमसाबाद-शाहजहांपुर मार्ग पर गांव चौरा के पास दो फीट पानी बह रहा है। इससे दो पहिया वाहनों को निकलने में दिक्कत हो रही है। गंगा का पानी अब किनारे बसे गांव के लिए आफत बन गया है। गांव सुंदरपुर में गंगा का पानी घरों में घुस गया है। इससे ग्रामीणों ने घरों से सामान निकाल कर ऊंचे स्थान के लिए पलायन कर रहे हैं।


हरसिंहपुर कायस्थ गांव पूरी तरह से पानी से भरा हुआ है। यहां के ग्रामीण भी घरों में पानी भरने से ऊंचे स्थान पर पहुंच गए हैं। कई ग्रामीण कटान के भय से मकान तोड़ रहे हैं। वहीं बात करे तहसील क्षेत्र के गांव हमीरपुर में बाढ़ का पानी पहुंचने लगा था। इससे ग्रामीणों पानी गांव में भरने से रोकने के लिए रात में हमीरपुर से माखन नगला को जाने वाली सड़क को काट दिया। इसके बाद पानी की तेज धार से सड़क काफी दूर तक बह गई। गांव का अधिकांश भाग पानी में डूबा हुआ है। फसलें भी डूब चुकी हैं। लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। बाढ़ पीड़ित अपने माल-मवेशी को लेकर सड़कों पर आ गए हैं। गर्मी हो या बरसात यहीं माल-मवेशी पाल रहे हैं तथा सड़कों पर खुले आसमान के नीचे खाना भी बनाने को मजबूर हैं। अगर बारिश हो गई तो भूखे रहने को मजबूर हैं।

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Umakant yadav