63 वर्षीय बुजुर्ग महिला बनी लोगों के लिए मिसाल

punjabkesari.in Thursday, Apr 21, 2016 - 01:26 PM (IST)

इलाहाबाद(सैयद रजा): उम्र के 7वें दशक में जब लोगों को कई बार चलने के लिए भी सहारे की जरुरत होती है। किसी महिला को रोजी-रोटी के जुगाड़ के लिए रिक्शा चलाना पड़े तो हर कोई यही सवाल करेगा की क्या उसका कोई अपना नहीं है। लेकिन अगर उसे ये काम भरे-पूरे परिवार के होते हुए करना पड़े तो और भी कई सवाल खड़े होंगे।

 
रास्ता कहां नहीं होता, बस हमको पता नहीं होता। 63 साल की उम्र में अपनों के दरवाजे बंद होने के बाद वीणा पांडेय के लिए नौबत तो सड़क पर आने की थी। लेकिन उन्होंने इलाहाबाद की इन सड़कों के बीच जीवन की राह तलाश ली। जिन पर वो अब शान से ई-रिक्शा चलाती हैं और अपना और अपनी एक बहन का पेट पालती हैं। लोग जब उन्हें इस उम्र में रिक्शा चलाते देखते हैं तो हैरान रह जाते हैं। लेकिन जब लोगों को पता चलता है कि उनके पति के अलावा 3 बेटे भी हैं। सौतेले ही सही तो हर कोई उन्हें जीभर कोसता है और वीना पांडेय के हौसले की दाद भी देता है।
 
वीना पांडेय जीवन की शुरुआत से ही आत्मनिर्भर रहीं हैं। उन्होंने 60 साल की उम्र तक एक निजी कंपनी के अलावा जनसंख्या विभाग से जुड़कर काम किया है। लेकिन जब उम्र सेवानिवृत्ति की हुई तो सेवा करने वालों ने साथ छोड़ दिया। पति तो पहले छोड़ चुके थे, सौतेले बेटों ने भी कमाई बंद होने के बाद नाता तोड़ लिया। वीना पांडेय के ऊपर उनके अलावा उनकी एक और बहन की भी जिम्मेदारी थी लिहाजा उन्होंने रिटायरमेंट से मिले पैसों के अलावा कुछ कर्ज लेकर 1 लाख 45 हजार रूपये जुटाए और ई-रिक्शा ले लिया। शुरू में उन्होंने रिक्शा चलवाने के लिए ड्राइवर भी रखे लेकिन जब ड्राइवर काम छोड़कर भागने लगे तो वीना पांडेय ने खुद रिक्शा चलने का फैसला किया और वो एक स्वावलंबन की एक मिसाल बन गई है।
 
40 डिग्री तापमान में शहर भर से सवारियों को ढ़ोना इतनी बुजुर्ग महिला के लिए आसान नहीं। लेकिन वो जूझ रही हैं  जीवन की मुश्किलों से अपने हौसले की बदौलत। हैरानी की बात है की इसके बाद भी वीना पांडेय के चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखती है। उनके चेहरे पर हमेशा दिखाई देने वाली मुस्कराहट उनकी पहचान है। खास बात ये है की ऐसे दौर में जब बेरोजग़ारी से तंग तमाम नौजवान ख़ुदकुशी कर रहे हैं 63 साल की ये महिला कहती है कि जीवन एक संघर्ष है, संघर्ष करना सीखो।