सम्भल: पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खां BSP से निष्कासित, पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप

punjabkesari.in Thursday, Oct 28, 2021 - 03:39 PM (IST)

सम्भल: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में बस कुछ ही महीने ही बचे है ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां संगठन को मजबूत कर नई ऊर्जा के साथ 2022 विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है।  नेता भी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर पार्टी बदले में जुटे है। इसकी क्रम में बहुजन समाज पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाकर जिताऊ उम्मीदवार को मौका देने की जुगत में लगी हुई। दरअसल, संभल जिले के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री  अकीलुर्रहमान खां   को बसपा ने पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया है। 



बता दें कि पूर्व मंत्री  अकीलुर्रहमान खां  बहुजन समाज पार्टी में संगठन के कई पदों पर कार्य कर चुके है। वह बहुजन समाज पार्टी की तरफ से राजस्थान और महाराष्ट्र के प्रदेश प्रभारी भी रह चुके है। उन्होंने 1992 में बसपा की सदस्यता लेकर 1993 में मुरादाबाद शहर सीट से   बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था। उन्होंने बसपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मायावती के मंच पर जय सियाराम के नारे लग है  अब पुराने नेताओं की पार्टी में कोई इज्जत नहीं रह गई। उन्होंने कहा कि पार्टी में अब चाटूकारों की ज़रूरत है।



 सच्चे सिपाही को बसपा ने निकाला 
पूर्व मंत्री ने कहा कि मैंने विपरीत परिस्थिति में सपा के गढ़ वाले जिले में पार्टी का झंडा बुलंद किया था। खुद विधायक रहा जबकि मेरी पत्नी तरन्नुम अकील सम्भल शहर से नगर पालिका चेयरमैन रही। बसपा ने मुझे निकालकर सच्चे सिपाही को निकाला है। वहीं, पत्नी तरन्नुम अकील ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। और उन्होंने भी त्यागपत्र दे दिया उन्होंने कहा कि जिस बसपा ने तीन दशक से पार्टी को मजबूत करने वाले उनके पति को सम्मान नहीं दिया तो मुझे क्या देगी।



 बीएसपी को हराकर हकीकत का दिखा देंगे आईना 
उन्होंने कहा कि दलित अल्पसंख्यक मेरे साथ 2022 का चुनाव लड़कर बीएसपी को हराकर हकीकत का आईना दिखा देंगे । ऐसे में अब लगभग तय हो चुका है कि वह किसी भी दूसरी पार्टी को जल्द ही दामन थाम सकते हैं। हालांकि, उनकी सपा में जाने की ज्यादा संभावना जताई जा रही है। बसपा जिलाध्यक्ष ने बताया कि अनुशासनहीनता व पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होने पर उन्हें बसपा सुप्रीमो ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वह 1992 में बसपा से जुड़े थे। 1993 में मुरादाबाद नगर से बसपा प्रत्याशी बने, चुनाव हारे। 2002 में फिर बहजोई से लड़े और बसपा को जीत दिलाई। उन्होंने पार्टी से निकाले जाने पर सफाई देते हुए कहा कि जिस ने पार्टी में 29 साल तक सेवा की सेवा की है उसे पार्टी से निकाले जाने पर पार्टी को बड़ा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि अपने समर्थकों के साथ बैठक कर जल्द ही फैसल लेकर आगे की रणनीति तय करूगा। ऐसी आशंका जताई जा रही है वह समाजवादी पार्टी में जल्द ही जाने का फैसला ले सकते है। फिलहाल अभी तक उन्होंने कुछ भी इस बारे में ऐलान नहीं किया है। 

Content Writer

Ramkesh