पूर्व राष्ट्रपति व PM से छिन सकता है सरकारी आवास, जानिए पूरा मामला

punjabkesari.in Sunday, Jan 07, 2018 - 12:03 PM (IST)

लखनऊ: पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री समेत कई पूर्व नेताओं से अब उनका सरकारी बंगला छीन लिया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि एमीकस क्यूरी गोपाल सुब्रम्णयम ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उन्होंने यह आपत्ति जताई है कि आम इंसान हो जाने के बाद इन नेताओं को सरकारी संपत्ति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

जानकारी के अनुसार अखिलेश शासनकाल में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास मिलने संबंधी कानून बनाए जाने को लेकर कहा गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से किसी वरिष्ठ वकील को एमीकस क्यूरी (न्याय मित्र) के रूप में नियुक्त किया गया था। जो इस मामले की जांच कर रहा था।

इसी संबंध में एमीकस क्यूरी ने एक रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी, जिसमें उन्होंने कहा है कि न सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री बल्कि पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी सरकारी आवास नहीं दिए जाने चाहिए। सुब्रम्णयम ने कहा कि एक बार पद छोड़ने के बाद उन्हें सरकारी ऑफिस की तरह इसे भी छोड़ देना चाहिए। क्योंकि पद से हटने के बाद यह लोग आम भारतीय नागरिक हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें अन्य आम नागरिकों से ज्यादा सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए।

हालांकि एमीकस क्यूरी ने यह भी साफ किया है कि पद से हटने के बाद के प्रोटोकॉल, पेंशन और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली अन्य सुविधाएं यथावत रहे। उन्होंने कहा कि किसी आम आदमी को सरकारी संपति के इस्तेमाल की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सार्वजनिक पदों से हटने के बाद लोगों को मिलने वाले सरकारी आवास की अनुमति देने वाले कानून वास्तव में संविधान की धारा 14 का उल्लंघन करता है।

बता दें कि एनजीओ लोक प्रहरी ने यूपी सरकार की ओर से पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी फ्लैट्स दिए जाने के फैसले के खिलाफ कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। जिसमें कहा गया है कि अगस्त 2016 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले के खिलाफ यह निर्णय है।