नहीं रहे 'DNA फिंगर प्रिंट' के जनक डॉ. लालजी, हार्ट अटैक से हुआ निधन

punjabkesari.in Monday, Dec 11, 2017 - 02:16 PM (IST)

लखनऊ: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. लालजी सिंह का रविवार देर रात हार्ट अटैक से निधन हो गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लालजी के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। बता दें कि बीएचयू के आईसीयू में लालाजी ने अपनी आखिरी सांस ली।

सीएम योगी ने कहा कि लालजी के निधन से देश ने एक प्रखर शिक्षक एवं उच्च कोटि का वैज्ञानिक खो दिया है। लालजी सिंह भारत में डीएनए फिंगर प्रिंट के जनक थे। उन्होंने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के आदिवासियों के डीएनए के संबंध में काफी अध्ययन किया था। सीएम ने उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि विषम परिस्थितियों में अध्ययन करते हुए लालजी ने जो उपलब्धियां हासिल की, वह नई पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है।

जानिए, कौन थे लालाजी?
डॉ. लालजी सिंह का जन्म 5 जुलाई,1947 को हुआ था। वह हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केन्द्र के भूतपूर्व निदेशक थे। साथ ही वो सम्प्रति व बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे हैं। वह भारत के नामी नू-जीव विज्ञानी थे। लिंग निर्धारण का आणविक आधार, डीएनए फिंगरप्रिंटिंग, वन्यजीव संरक्षण, रेशमकीट जीनोम विश्लेषण, मानव जीनोम एवं प्राचीन डीएनए अध्ययन आदि उनकी रुचि के प्रमुख विषय रहे।

लालजी ने भारत में पहली बार क्राइम इन्वेस्टिगेशन को 1988 में नई दिशा देने के लिए डीएनए फिंगर प्रिंट टेक्नीक को खोजा था। उन्होंने राजीव गांधी, नैना साहनी, स्वामी श्रद्धानंद, सीएम बेअंत सिंह, मधुमिता और मंटू मर्डर केस की जांच में इंडियन डीएनए फिंगर प्रिंट टेक्नीक से जांच की और उसे सुलझाया।