मथुरा में बीमार और त्यागी गई गायों की मददगार बनी जर्मन की ये महिला

punjabkesari.in Sunday, Sep 17, 2017 - 04:22 PM (IST)

मथुरा: जर्मनी की नागरिक 59 वर्षीय फ़्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग उन 1,200 गायों की देखरेख कर रही हैं जिनमें से अधिकतर गाएं त्यागी गई, बीमार और घायल हैं।फ़्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग 1978 में र्बिलन से भारत एक पर्यटक के रूप में आई थी। उस समय उन्होंने अपने जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया था।
                 
मथुरा की अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं एक पर्यटक के रूप में आई थी और मुझे अहसास हुआ कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए आपको एक गुरू की जरूरत होती है। मैं एक गुरू की तलाश में राधा कुंड गई। उसके बाद उन्होंने पड़ोसी के आग्रह पर एक गाय खरीदी और ‘उसके बाद से मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। इसके बाद उन्होंने गायों पर किताबें खरीदीं और हिन्दी सीखी। उन्होंने बताया कि मैंने देखा कि जब गाय बूढ़ी हो जाती है और दूध देना बंद कर देती है तो लोग उसे छोड़ देते हैं। फ़्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग को यहां के लोग प्यार से सुदेवी माताजी कहते हैं।
                 
उन्होंने एक गौशाला शुरू की जिसका नाम ‘सुरभि गौसेवा निकेतन’ है। यहां राधे कुंड में गायों और बछड़ों के एक विशाल परिवार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वे हमारे बच्चों के जैसे हैं और मैं उन्हें नहीं छोड़ सकती। एक बार एक गाय 3,300 वर्ग गज में फैली गौशाला में आ जाती है तो उसे खाना और दवा मुहैया करा कर उसकी पूरी देखभाल की जाती है।
                 
उन्होंने कहा कि आज, हमारे पास 1,200 गायें और बछड़े हैं और अधिक गायों को रखने के लिए हमारे पास जगह नहीं है। लेकिन जब कोई बीमार या घायल गाय को मेरे आश्रम के बाहर छोड़कर जाता है तो मैं इंकार नहीं करती और उसे अंदर ले आती हूं।