उच्च शिक्षा प्राप्त करने में आगे रहने वाले गाजीपुर के पास नहीं हैं विश्वविद्यालय, पूर्व से लेकर वर्तमान CM तक लगा चुके हैं गुहार

punjabkesari.in Saturday, Feb 04, 2023 - 06:19 PM (IST)

गाजीपुर : इस शहर का नाम सुनते ही लोगों के अंदर सैनिकों का चित्र एकाएक आ जाता हैं। सैनिक पैदा करने के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश की यह धरती शिक्षा से लेकर राजनीति तक सभी क्षेत्रों में अपना अहम योगदान देने वाले अनेक लोगों के लिए जानी जाती हैं। दुख की बात यह है कि फिल्मी पर्दे पर महाभारत जैसी कालजयी एपीसोड लिखने वाले राही मासूम रजा और छोटे मालवीय के नाम से मशहूर राजेश्वर प्रसाद सिंह का यह शहर अपने इकलौते मांग गाजीपुर के विश्वविद्यालय की बांट जोह रहा हैं। वर्तमान से लेकर पूर्व मुख्यमंत्रियों तक ने सभी ने चुनाव के दौरान गाजीपुर को विश्वविद्यालय देने का वादा तो किया लेकिन पूरा किसी ने नहीं किया। अपने इसी मांग को लेकर जिले के कई युवा अब तक न जाने कितनी बार धरना-प्रदर्शन करने के साथ ही पुलिस की लाठी का शिकार हो चुके हैं। फिर भी इन्हें उम्मीद है कि उनकी इस मांग को सरकार जरूर पूरा करेगी।
 

 प्रदेश में उच्च शिक्षा लेने के मामले में गाजीपुर अव्वल
केंद्र सरकार के द्वारा पहली बार जारी देश के जिलों की सामाजिक प्रगति सूचकांक रिपोर्ट में यह बात सामने आई हैं कि उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने के मामले में गाजीपुर के युवा सबसे आगे हैं।  प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने पहली बार देश के राज्यों के 707 जिलों की सामाजिक प्रगति सूचकांक SPI की रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में सभी जिलों की शिक्षा की स्थिति का भी आंकलन किया गया। बुनियादी शिक्षा और उच्च शिक्षा को दो वर्गों में बांटकर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के सबसे अधिक युवा इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा में प्रवेश ले पा रहे हैं। जबकि बलरामपुर सबसे फिसड्डी जिला है। केंद्र सरकार की सामाजिक प्रगति सूचकांक रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आए हैं। गौतम बुद्ध नगर दूसरे, अयोध्या तीसरे, बनारस चौथे व प्रयागराज पांचवें स्थान पर है। बरेली मंडल का कोई भी जिला प्रदेश की टॉप टेन में शामिल नहीं है।



गाजीपुर में विश्वविद्यालय की मांग आज की नहीं
जिले के लिए विश्वविद्यालय की मांग करते हुए युवा अक्सर मीडिया के सामने आ जाते हैं। इनमें से एक गाजीपुर P G कॉलेज के निवर्तमान छात्रसंघ महामंत्री प्रवीण विश्वकर्मा और दूसरा प्रमुख नाम और इसी कॉलेज के पूर्व छात्र व वर्तमान समय में समाज सेवा से जुड़े कमलेश यादव हैं। दोनों नेता अक्सर अपनी मांग को लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक अपनी मांग को लेकर दौड़ते रहे लेकिन इन्हें मिला तो सिर्फ आश्वासन। दोनों युवाओं ने बताया कि गाजीपुर में विश्वविद्यालय की मांग आज की नहीं हैं। 2012 के चुनाव में तत्कालीन सपा नेता व फिर सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने लोगों को इस मांग को मान लिया था और अपनी सरकार में रहने के दौरान इसे विश्वविद्यालय की तर्ज पर विकसित करने का वादा भी किया था लेकिन पूरा नहीं कर पाए। वहीं सूबे की सत्ता पर दूसरी बार काबीज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मांग पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया हैं।

विश्वविद्यालय के लिए खून से लिखा पत्र
महाविद्यालय के निवर्तमान महामंत्री प्रवीण विश्वकर्मा ने पंजाब केसरी को बताया कि अपने इस मांग को लेकर उनके और उनके साथियों ने कई बार जिले के प्रमुख अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के राज्यपाल को अवगत कराया। यहीं नहीं  अपने इस मांग को लेकर छात्रों ने करीब 2 साल पहले खून से पत्र लिखकर CM योगी को ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन मिला तो सिर्फ सांतावना लेकिन इन्हें अभी भी ये उम्मीद हैं कि इन लोगों को यह मांग शासन द्वारा जल्द मान लिया जाएगा।

 

अखिलेश यादव ने दिया था भरोसा
जिले के युवा समाजसेवी व छात्र नेता कमलेश यादव से जब पंजाब केसरी ने उनके इस मांग के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि जिले के सबसे बड़े कॉलेज में सब कुछ होने के बावजूद इसे विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिला पाया। इस बात को लेकर वह कई बार सपा प्रमुख से मिलने की कोशिश भी किए और मार्च 2022 के विधानसभा चुनाव में जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव जिले के दौरे पर आए तो उनके इस मांग को पूरा करने का वादा भी किया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के मांग के पोस्टर को भी हिला कर दिखाया और सरकार बनने पर इसे पहली कैबिनेट बैठक में पूरा करने का वादा भी किया था। इन्हें भी उम्मीद है कि देर सबेर सरकार उनके इस मांग को पूरा करेगी। 

Content Editor

Prashant Tiwari