गोरखपुर उपचुनाव: समाजवादी पार्टी मैदान में है भी और नहीं भी!

punjabkesari.in Wednesday, Feb 21, 2018 - 09:55 AM (IST)

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा खाली की गई सीट पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक नया प्रयोग किया है। यह प्रयोग 2019 के लोकसभा चुनावों को मद्देनजर रख कर लिया गया है।

अखिलेश ने सोची-समझी रणनीति के तहत 2019 के लिए बिसात विछाई है। दरअसल अखिलेश ने खुद के प्रत्याशी की जगह क्षत्रप निषाद पार्टी के उम्मीदवार को अपने सिंबल पर मैदान में खड़ा किया है। जाहिर है कि इस कदम से अगर जीत मिली तो इसी के तर्ज पर आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन देखने को मिल सकता है। वहीं हार होने पर समाजवादी पार्टी यह कहकर साफ बच जाएगी कि उसने एक प्रयोग के तहत ऐसा किया था, जो असफल रहा। मतलब साफ है, गोरखपुर में समाजवादी पार्टी मैदान में है भी और नहीं भी।

दरअसल गोरखपुर में निषाद बिरादरी ही अभी तक योगी आदित्यनाथ को चुनौती देती रही है। सपा के जमुना निषाद ने योगी को कई बार टक्कर दी हालांकि वह जीत हासिल नहीं कर सके। वर्ष 2014 के चुनाव में हालांकि योगी बड़े अंतर से जीते लेकिन दूसरे नंबर पर सपा से चुनाव लड़ रही राजमती निषाद रहीं। वह जमुना निषाद की पत्नी हैं। अब सपा ने एक बार फिर निषाद नेता को ही मैदान में उतारा है लेकिन इस बार पार्टी ने खुद चुनाव में सीधे उतरने की बजाय पीछे का रास्ता अपनाया है। अखिलेश यादव ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा है। दिलचस्प यह है कि प्रवीण निषाद सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे।

इसके अलावा इस चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने पीस पार्टी के साथ भी गठबंधन किया है। पूर्वांचल की राजनीति में पीस पार्टी मुस्लिम वोटरों के बेस के साथ अस्तित्व में आई थी। पूर्वांचल के कई जिलों में पीस पार्टी का अच्छा दखल है। बता दें गोरखपुर लोकसभा सीट पर निषाद वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यहां निषाद मतदाताओं की संख्या करीब 3.4 लाख है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय कुमार निषाद कहते हैं कि मुसलमानों और निषादों की बीमारी अब एक जैसी हो गई है ऐसे में इस बीमारी का इलाज भी एक जैसा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम एक हो जाएं तभी दुश्मन से लड़ सकते हैं।