सरकारी बाबुओं का खेल, दागी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने में सरकार हो रही फेल

punjabkesari.in Monday, Dec 11, 2017 - 08:43 AM (IST)

लखनऊ: यूपी में दागी अफसरों पर सरकारी बाबुओं की मेहरबानी का दौर जारी है। मुख्य सचिव और अदालतों के सख्त निर्देशों के बावजूद सरकारी बाबुओं ने ऐसे 92 दागी अफसरों के खिलाफ मुकद्दमा चलाने की अनुमति वाली फाइलें दबा रखी हैं। भ्रष्ट बाबुओं और सत्ता में बैठ बड़े-बड़े घपले घोटाले को अंजाम देने वाले अफसरों के सिंडीकेट ने वैसे तो कई बार शासन सत्ता को अपनी ताकत का एहसास कराया कभी नकेल कसने वाले अफसरों के तबादले कराकर तो कभी सांठ-गांठ कर।

पिछले अढ़ाई दशकों से सचिवालयों और शासन में फाइलों को लटकाने की परम्परा बदस्तूर आज भी जारी है। ई-ऑफिस से लेकर कार्यों के निस्तारण के लिए बने चार्टर भी ऐसे तंत्र के सामने पानी मांगते नजर आए। सरकारी आंकड़ों को देखें तो 92 दागी अफसरों के मामलों में केस चलाने की अनुमति को लेकर सरकारी फाइलें या तो गायब हैं या उनसे महत्वपूर्ण दस्तावेज हटा दिए गए हैं। मामले में रिटायर्ड आई.ए.एस. सूर्य प्रताप सिंह कहते हैं कि जब सरकार की प्राथमिकता में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई हो तो इतने अफसरों के मामले में अभियोजन स्वीकृति न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है।

करीब हर विभाग में हैं दागी अफसर
आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में बार-बार चेतावनियों के बावजूद अलग-अलग विभागों में दागी अफसरों के खिलाफ  चल रही जांच में केस चलाने की अनुमति की फाइलें रोकी जा रही हैं। फिर 5 मार्च 1993 में शासन ने इसे एक माह में करने निर्देश दिए। हाल ही में योगी के सख्त निर्देशों के बाद 7 नवम्बर 2017 को मुख्य सचिव राजीव कुमार द्वारा पत्र लिख कर इस संबंध में कार्रवाई की अपेक्षा की गई थी। फिर भी अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अब इन अफसरों को 20 दिसम्बर तक अपनी स्थिति विभागवार स्पष्ट करने को कहा गया है।

तमाम निर्देशों के बाद भी नतीजा सिफर
हाल ही में 6 दिसम्बर 2017 को सभी विभागाध्यक्षों को लिखे पत्र में यू.पी. के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने सतर्कता जांच और विवेचना में संस्तुत अभियोजन की संस्तुतियों पर प्रभावी समयबद्ध कार्रवाई के संबंध में निर्देश जारी किए हैं। ऐसा नहीं है कि इस खेल के पीछे कार्रवाई नहीं हुई या फिर अदालतों तक ने दखल न दिया हो। दखल हुआ तो सबसे पहले 15 सितम्बर 1990 में जारी दिशा-निर्देश में 2 से 6 माह के अंदर स्वीकृतियां देने के निर्देश दिए गए थे।