GST और नोटबंदी ने घटाई बाजारों की रौनक,लेकिन अॉनलाइन हो रही जमकर शॉपिग

punjabkesari.in Monday, Oct 16, 2017 - 05:57 PM (IST)

लखनऊः नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का असर रोशनी के त्योहार दीपावली पर साफ देखा जा रहा है हालांकि ऑनलाइन खरीददारी के प्रति ग्राहकों का बढ़ता रूझान भी पारंपरिक बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। उत्तर प्रदेश समेत समूचा उत्तर भारत नवरात्र के बाद त्योहारी मूड में आ जाता है। इस मौके को भुगताने के लिए राष्ट्रीय और बहुर्राष्ट्रीय कंपनियां खास आफर के साथ बाजार में उतरती हैं। हर साल की तरह इस बार भी आफरों की भरमार है। इसके बावजूद बाजारों और हाटों में रौनक फीकी पड़ी हुई है।

नोटबंदी के फैसले से भी बाजार प्रभावित
बाजार विशेषज्ञ खरीददारी के प्रति लोगों के रूझान में कमी का कारण नई कर प्रणाली जीएसटी को दे रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि कालाधन पर नकेल कसने के लिए केन्द्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से भी बाजार पूरी तौर पर प्रभावित हुआ है। उधर, आनलाइन शापिंग के प्रति बढ़ते आकर्षण का असर भी खुदरा व्यापार पर पड़ा है। 

बाजारों में पसरा सन्नाटा
हालांकि कारोबारियों को उम्मीद है कि धनतेरस के मौके पर ग्राहकों की भीड़ सारे गिले शिकवे दूर कर देगी। सोने चांदी की कीमतों में स्थिरता भी ग्राहकों को आभूषण प्रतिष्ठानों की ओर खींचेगी। लखनऊ, कानपुर, बरेली, इलाहाबाद, वाराणसी और आगरा के मुख्य बाजारों में पसरा सन्नाटा दुकानदारों को डरा रहा है। दुकानदार कह रहे हैं कि त्योहारी सीजन शुरू होते ही बाजारों में रौनक आ जाती थी मगर इस बार हालात जुदा है। पहले नोट बंदी, फिर जीएसटी से व्यापार लगभग आधा हो गया है, वहीं आनलाइन वेब पोर्टलों ने बाजार की कमर तोड दी है। 

ऑनलाइन ट्रेड से बाजार प्रभावित
बाजार विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री कपिल शर्मा ने कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग का ट्रेड बढऩे से खुदरा बाजार प्रभावित हुआ है। इंटरनेट और मोबाइल फोन का प्रचलन आनलाइन खरीददारी के बढ़ावे की मुख्य वजह है। आज के दौर में ग्राहक भीड़-भाड़ से बचना चाहता है। आनलाइन शापिंग में ग्राहक को विकल्प चुनने की आजादी होती है। विभिन्न कंपनियों के उत्पादों के फीचर की तुलना परिवार के सदस्यों के साथ बैैठ कर आसानी से की जा सकती है। मोलभाव के झंझट से मुक्ति मिलती है। 

कुछ दुकानों से ही करते है खरीददारी 
शर्मा ने कहा कि ऑनलाइन में ग्राहक अपनी रेंज के हिसाब से 100 से ज्यादा मोबाइल देखता है और फिर एक चुनता है। दाम भी वहां के मुकाबले 10 से 30 फीसदी तक कम है। हालांकि इससे वह निराश नहीं हैं। जिन ग्राहकों को आज के आज मोबाइल चाहिए वो दुकान से ही लेते हैं। साथ ही, कई लोग अब भी ऑनलाइन के बजाए सीधे दुकानों से खरीद पर भरोसा करते हैं।  

जो होनी चाहिए वो रौनक नहीं 
लखनऊ के हजरतगंज बाजार में रेडीमेड कपड़ों केे व्यापारी दुलीचंद चड्ढा ने कहा कि दिवाली का मौका है नवरात्र और दशहरा बीत चुके हैं फिर भी बाजार में वह रौनक नहीं आई जो आनी चाहिए। जीएसटी के बाद खुद दुकानदार परेशान हैं वहीं आम लोग भी असमंजस में हैं। दिवाली के त्योहार पर बाजार में इतनी ज्यादा भीड़ होती है कि पैर रखने को भी जगह नहीं होती, लेकिन इस बार वह बात नहीं है।  

GST ने डराया दुकानदारों को
साड़ी विक्रेता इरशाद अली ने कहा कि जीएसटी और इससे पहले नोटबंदी ने लोगों की जेब में जैसे पैसा छोड़ा ही नहीं है। दुकानदारों को माल नहीं मिल रहा है। अभी तक दुकानदार स्टाक निकालने के चक्कर में है। जीएसटी ने सब दुकानदारों को डराया हुआ है।