Gyanvapi case: 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग को लेकर हिन्दू पक्ष की मांग खारिज, कोर्ट ने कहा- शिवलिंग की कोई जांच नहीं होगी

punjabkesari.in Friday, Oct 14, 2022 - 03:14 PM (IST)

वाराणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बहुचर्चित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज जिला अदालत अपना बड़ा फैसला सुना दिया है। जिला कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की मांग खारिज कर दी है। कोर्ट का कहना है कि शिवलिंग की जांच नहीं की जाएगी। दरअसल, सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ‘शिवलिंग’ मिला था। इसे लेकर दावा किया गया है कि शिवलिंग ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाया गया है। याचिका में विचाराधीन वस्तु की आयु स्थापित करने के लिए कार्बन डेटिंग का उपयोग करने की मांग की गई थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। 

बता दें कि इस मामले में 5 महिलाओं की तरफ से कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका के जरिए 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई थी। मामले में पिछली सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने कार्बन डेटिंग और शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की मांग का कड़ा विरोध किया था। सुनवाई को दौरान AIM के वकील ने कहा था कि "सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को इसे बचाने का आदेश दिया था, ऐसे में इस तरह के ढांचे को तोड़ा नहीं जा सकता।

सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
AIM की दलील का विरोध करते हुए मामले में वादी 2 से 5 के वकील विष्णु जैन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले से संबंधित सभी आवेदनों को निपटाने के लिए अपने 20 मई के आदेश के माध्यम से वाराणसी जिला न्यायाधीश को अधिकार दिया था। हालांकि, इसके बाद सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसे अदालत आज सुना सकती है।

कार्बन डेटिंग की मांग पर अदालत में हुई थी आपत्ति दर्ज
इस मामले में एआईएम के वकील अखलाक अहमद ने कहा था कि हमने कार्बन डेटिंग की मांग और संरचना की वैज्ञानिक जांच की मांग के खिलाफ मंगलवार को अदालत के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। वहीं, 17 मई के अपने आदेश में, SC ने संरचना की रक्षा करने के लिए कहा था। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा था कि मूल मामला श्रृंगार गौरी की पूजा के बारे में है। मस्जिद की संरचना से इसका कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में न तो पुरातत्व विभाग द्वारा कोई जांच की जा सकती है और न ही वैज्ञानिक जांच कराकर कोई कानूनी रिपोर्ट मांगी जा सकती है।

Content Editor

Pooja Gill