सहारनपुर में आधी आबादी को भाजपा-सपा-बसपा से मिली मायूसी, कांग्रेस से उम्मीद

punjabkesari.in Tuesday, Feb 01, 2022 - 06:29 PM (IST)

सहारनपुर:  उत्तर प्रदेश को महिला मुख्यमंत्री देने वाले सहारनपुर जिले में कांग्रेस को छोड़ कर किसी अन्य दल ने आधी आबादी को राजनीति में प्रोत्साहन देने की नीयत नहीं दर्शायी है।   जिले कर सात विधानसभा सीटों में कुल 25 लाख 80 हजार 386 मतदाता हैं जिनमें से लगभग आधी यानी 12 लाख 16 हजार 46 महिलाएं हैं लेकिन सपा-बसपा-भाजपा ने किसी भी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया है। कांग्रेस ने जरूर महिलाओं का सम्मान रखा है और बेहट एवं सहारनपुर महानगर सीटों पर महिला प्रत्याशी दिए हैं। बेहट से कांग्रेस ने पूनम कांबोज को और सहारनपुर नगर से सुखविंदर कौर को प्रत्याशी बनाया है।   सहारनपुर जिले से अंतिम महिला विधायक के तौर पर बसपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती हैं जो 2002 में मुख्यमंत्री रहते हुये यहां से आखिरी बार महिला विधायक चुनी गई थीं।  इस बार के चुनाव में राजपूतों का प्रतिनिधित्व भी घटा है। बेहट से भाजपा के उम्मीदवार कांग्रेस विधायक नरेश सैनी बनाए गए हैं।

सपा ने पूर्व एमएलसी उमर अली और बसपा ने रईस मलिक को टिकट दिया है। नकुड़ से भाजपा ने नए उम्मीदवार गुर्जर बिरादरी के मुकेश चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। उसके विधायक धर्म सिंह सैनी दल बदलकर सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने सपा के दलबदलू शाहिल खान को टिकट दिया है। कांग्रेस उम्मीदवार रणधीर सिंह हैं। सहारनपुर नगर सीट पर पिछली चुनाव हारे राजीव गुंबर भाजपा प्रत्याशी हैं। सपा से तीसरी बार के विधायक संजय गर्ग प्रत्याशी हैं और बसपा ने नया उम्मीदवार पंजाबी समाज के युवा नेता मनीष अरोड़ा पर भरोसा जताया है। सहारनपुर देहात सीट पर बसपा छोड़कर भाजपा में आए तीन के विधायक जगपाल सिंह प्रत्याशी हैं। सपा ने पूर्व एमएलसी आशु मलिक को मैदान में उतारा है। बसपा ने नए प्रत्याशी अजब सिंह को टिकट दिया है। संदीप कुमार कांग्रेस प्रत्याशी हैं। देवबंद से मौजूदा विधायक बृजेश रावत भाजपा के उम्मीदवार हैं। सपा ने पूर्व मंत्री राजेंद्र राणा के बेटे कार्तिकेय राणा को उम्मीदवार बनाया है।

बसपा ने प्रमुख गुर्जर नेता और हरिद्वार जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे राजेंद्र चौधरी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने नए प्रत्याशी राहत खलील को टिकट दिया हैं। रामपुर मनिहारान सुरक्षित सीट पर भाजपा ने मौजूदा विधायक देवेंद्र निम को और देवेंद्र निम के जीजा विवेक कांत जो पूर्व सांसद जगपाल सिंह के बेटे हैं सपा-रालोद प्रत्याशी बनाए गए हैं। दो बार के विधायक और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख दलित नेता रविंद्र कुमार उफर् मोल्लू बसपा प्रत्याशी हैं। वह करीब तीन साल भाजपा में रहे हैं। इस सीट पर वह सबसे भारी भरकम उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने ओमपाल सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। गंगोह सीट पर भाजपा के मौजूदा विधायक चौधरी कीरत सिंह, सपा उम्मीदवार चौधरी इंद्रसैन और बसपा ने नौमान मसूद जो इमरान मसूद के भाई हैं को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने अशोक सैनी को मैदान में उतारा है। गंगोह ऐसी सीट हैं जहां 17 बार हुए चुनाव और उपचुनाव में हमेशा एक को छोड़कर गुर्जर बिरादरी के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं।

1969 के चुनाव में इमरान मसूद के बाबा काजी मसूद बतौर निर्दलीय विधायक चुने गए थे। उनके अलावा हमेशा इस सीट पर हिंदू गुर्जर विधायक बनता रहा है। सबसे ज्यादा छह बार चौधरी यशपाल सिंह यहां से विधायक चुने गए। जिनके बेटे चौधरी इंद्रसैन अबकी सपा-रालोद प्रत्याशी हैं। चुनाव की खास बात यह भी है कि पिछली चुनाव लड़ने वाले इमरान मसूद, पूर्व विधायक महावीर राणा, सहारनपुर देहात के वर्तमान विधायक मसूद अख्तर चुनाव मैदान से बाहर हैं। महिलाओं में इस बार जिला पंचायत सदस्य ममता चौधरी और देवबंद की पूर्व विधायक शशिबाला पुंडीर समाजवादी पाटर्ी से टिकट मांग रही थीं लेकिन अखिलेश यादव ने दोनों की मजबूत दावेदारी को अनदेखी कर दी। जिले की महिलाओं को सपा-बसपा और भाजपा द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने से बेहद नाराजगी और मायूसी 


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Content Writer

Ramkesh

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