हमीरपुर: पुरातात्विक सर्वेक्षण में पाए गए 10 हजार साल पुराने सभ्यता के अवशेष

punjabkesari.in Wednesday, Mar 18, 2020 - 01:31 PM (IST)

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जनपद के गोहांड विकास खंड क्षेत्र में 10 हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेष पुरातत्व विभाग के सर्वे में मिले हैं। जिसे लेकर पुरातत्व विभाग के अधिकारी विश्लेषण में जुट गये हैं। इस पूरे इलाके की पुरातत्व की धरोहरें और अवशेषों की सूची तैयार करायी जा रही है।

मिले 10 हजार वर्ष पुराने पाषाण युग के उपकरण व पुरातात्विक अवशेष
UP राज्य पुरातत्व विभाग की बुन्देलखंड के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. एसके दुबे ने हमीरपुर जनपद के गोहांड विकास खंड क्षेत्र के प्रत्येक गांवों का पुरातात्विक सर्वे कराया है। इसके लिये कई टीमें गठित की गयी थी। करीब 1 माह तक पुरातात्विक सर्वे टीम ने पुराने किले, गढ़ी, मंदिर, मूर्तियों और टीलों की खोज की। सर्वे के दौरान 10 हजार वर्षों के पुराने पाषाण युग के उपकरण और अन्य पुरातात्विक अवशेष मिलने से अधिकारी दंग रह गये हैं। फिलहाल पुरातात्विक धरोहरों और अवशेषों को कब्जे में लेकर अध्ययन के लिये सील कर दिया गया है।

अवशेषों और धरोहरों को लेकर किया जाएगा शोध
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. एसके दुबे ने बताया कि गोहांड ब्लाक के तीन दर्जन गांवों में सर्वेक्षण के दौरान पुरानी मानव सभ्यता के मिट्टी के पके बर्तन, पत्थर का उपकरण, कौड़ियां व अन्य अवशेष पाये गये हैं। ये हजारों साल पुराने हैं जो पुरातात्विक के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि इन अवशेषों और धरोहरों को लेकर शोध किया जायेगा।

पाषाणकालीन उपकरण हैं 25 हजार साल पुराने
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. एसके दुबे ने बताया कि गोहांड ब्लाक के दगवां एवं मुसाही मौजा से पाषाण काल के उपकरण मिले हैं। इससे पहले पाषाणकाल के अवशेष कालपी की खुदाई में भी मिल चुके हैं। ये पाषाणकालीन उपकरण 25 हजार साल पुराने हैं। उन्होंने बताया कि हमीरपुर जिले के इस दुर्गम इलाके में इस तरह के अवशेषों को मिलना शोध का विषय बन गया है। इसके अलावा जमरा गांव के प्राचीन टीले की ग्रामसभा के सड़क निर्माण में की गयी खुदाई से 25 हजार साल पुराने मिट्टी के पके बर्तनों के अवशेष व पत्थर का बना एक अन्य उपकरण मिला है जिसका शोध किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इसे कृष्ण लेपित मृदभाण्ड तथा काला व लाल प्रकार का मृदभाण्ड कहते हैं।

पाए गए आदिमानव से लेकर उत्तर मध्यकाल तक के मानव सभ्यता के अवशेष
क्षेत्रीय पुरातात्विक अधिकारी झांसी डॉ.एसके दुबे ने बताया कि गोहांड विकास खंड के चिकासी, बरौली खरका, चंदवारी डांडा, घुरौली, बिलगांव, मंगरौठ, जिंगनी, पवई, अलकछवा, बड़ा, गड़हर, चक अमरपुरा, दंगवा, नहदौरा, अमगांव, सरसई, मुसाही मौजा, रावतपुरा, त्योतना, इटैलिया राजा, सिकरौंधा, खरका, रिहुंटा, चिल्ली, औता, टोला रावत, टीकुर, तुलसीपुरा, जमरा, बागीपुरा, महजौली, खरेहटा खुर्द, सिंगरावन आदि गांवों में सर्वेक्षण के दौरान पुरातत्व महत्व के अवशेष मिले है। इन गांवों में आदि मानव से लेकर उत्तर मध्यकाल तक के मानव सभ्यता के अवशेष पाये गये हैं जो पुरातत्व के लिये बेहद महत्वपूर्ण हैं। अब सभी धरोहरों को अध्ययन के लिये कब्जे में ले लिया गया है।

देखरेख न होने के कारण बदहाल हो रही हैं धरोहरें
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. एसके दुबे ने बताया कि गोहांड क्षेत्र के जिंगनी गांव में गढ़ी और पुराने मंदिर मिले है। ये गांव कभी जिंगनी स्टेट रहा है लेकिन मौजूदा समय में ये धरोहरें देखरेख न होने के कारण बदहाल हो रही हैं। जिंगनी स्टेट के अद्भुत भवन, तत्कालीन वास्तुकला के अनूठे उदाहरण हैं मगर ये दिनों दिन नष्ट होते जा रहे हैं। यदि इन भवनों और धरोहरों को स्थानीय निकाय स्तर पर जीर्णोद्धार कराया जाये तो ये पर्यटन के दायरे में संवर सकती हैं। उन्होंने बताया कि ये पूरा इलाका आदि काल से लेकर उत्तर मध्यकाल तक के इतिहास को समेटे हैं। पुराने महल, गढ़ी व किलों के अलावा पुरानी मानव सभ्यता के बर्तन और अन्य वस्तुओं के अवशेष मिले हैं जो पुरातत्व के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है।

एक्सप्रेस वे निर्माण में खुदाई से नष्ट हो सकती हैं धरोहरें
अधिकारी ने बताया कि हमीरपुर जिले के गोहांड ब्लाक से होकर निकल रहे बुन्देलखंड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के समय आसपास के टीले की खुदाई पर निगरानी रखने की जरूरत है जिससे एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिये मिट्टी हेतु की जाने वाली खुदाई से पुरातात्विक अवशेषों की क्षति न हो सके। उन्होंने बताया कि इस तरह की किसी भी टीले की खुदाई से मिलने वाले पुरातात्विक अवशेषों को राजकीय संग्रहालय झांसी में जमा करने के लिये जिलाधिकारी हमीरपुर को पत्र लिखा गया है।उन्होंने बताया कि इससे पूर्व हमीरपुर में सर्वेक्षण में आये चंदेलकालीन मठ व अन्य मंदिर राजकीय संरक्षण में लिये जा चुके हैं। साथ ही अन्य भवन और धरोहरों को भी राजकीय संरक्षण में लेने के प्रयास जारी है।

 

 

Ajay kumar