हथकरघा दिवसः भारत की अद्वितीय कला से विश्व को परिचित कराने का प्रयास है हथकरघा

punjabkesari.in Friday, Aug 07, 2020 - 02:42 PM (IST)

लखनऊः हथकरघा भारत की अद्वितीय कला से विश्व को परिचित कराने का प्रयास और बुनकरों की सुंदर शिल्पकारी का प्रतीक है। या यूं कह लें कि यह सिर्फ एक शिल्प ही नहीं बल्कि असंख्य शिल्पियों और बुनकरों, विशेषकर महिलाओं के जीवन और जीविका से जुड़ा है। इस नायाब शिल्प, उसकी गुणवत्ता, उसकी विविधतापूर्ण सम्पदा को संरक्षित करता है। आज छठवां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस है। आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में हथकरघा कला के विषय में-

उत्तर प्रदेश का मऊ ज़िला हथकरघा उद्योग का प्रमुख केंद्र है, जहां मुख्य रूप से बनारसी साड़ियां बुनी जाती हैं। इसके अलावा वाराणसी और आज़मगढ़ के मुबारकपुर में भी बनारसी साड़ियों की बुनाई और उनके विपणन का काम होता है। राज्य के दूसरे इलाक़े जैसे गोरखपुर, टांडा, मेरठ और कुछ अन्य शहरों में भी हथकरघा उद्योग है और इन सभी जगहों पर स्थिति लगभग एक जैसी है।

हथकरघा उद्योग देश में रोज़गार मुहैया कराने के मामले में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है लेकिन इसमें रोज़गार की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। देश भर में हथकरघों और इसमें काम करने वाले लोगों की संख्या लगातार घटती जा रही है। हालांकि सरकार ने इस सेक्टर में तेज़ी लाने और मांग बढ़ाने की तमाम कोशिशें की हैं लेकिन स्थिति लगातार बिगड़ती ही जा रही है।

Author

Moulshree Tripathi