फांसी की सजा देना गलत, सेंगर को नहीं तो निर्भया के दोषियों को क्योंः मेधा पाटेकर

punjabkesari.in Monday, Jan 13, 2020 - 02:45 PM (IST)

अलीगढ़ः भारत की प्रसिद्ध समाज सेविका व नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रवर्तक मेधा पाटेकर ने निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने को गलत ठहराया है। पूरी दुनिया में 'नर्मदा घाटी की आवाज़' कहलाने वाली मेधा ने कहा कि BJP विधायक कुलदीप सेंगर को फांसी की सजा नहीं हुई है। निर्भया केस के चारों दोषियों को फांसी दी जा रही है। यह गलत है।

फांसी की सजा, हिंसा को मंजूरी देने की बात है
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज में CAA के विरोध में रविवार को आयोजित परिचर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि अब तो ऐसा हो रहा है कि अगर कोई दुष्कर्मी साबित होता है तो उसे भी फांसी की सजा दे दो। उन्नाव के इतने बर्बर घटनाक्रम के बाद कुलदीप सेंगर को तो फांसी नहीं दी जाएगी। मगर निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दी जाएगी। ये तो फिर हिंसा को मंजूरी देने की बात हुई। 106 देशों में फांसी की सजा खत्म कर दी है। भारत में भी फांसी की सजा के खिलाफ आवाज उठनी चाहिए।

गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित हैं मेधा पाटेकर
गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित समाजसेविका ने कहा कि हिंसा का जवाब अहिंसा से देना चाहिए। आज ऐसा नहीं हो रहा है। बच्चे भी हिंसा देख रहे हैं, उन पर असर पड़ रहा है। जो कि नकारात्मक परिणाम लेकर आ रहा है।

AMU के छात्रों का किया समर्थन
एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में सीएए के विरोध में आयोजित परिचर्चा के दौरान उन्होंने छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया। साथ ही केंद्र सरकार पर हमला बोला। कहा कि जवाहरलाल नेहरू व जामिया मिलिया इस्लामिया जैसी यूनिवर्सिटी को हिंसा का मैदान बनाने वालों को शर्म आनी चाहिए। वे सर्व शिक्षा अभियान के खिलाफ काम कर रहे हैं। सबका साथ, सबका विकास की घोषणा झूठ साबित कर रहे हैं। भविष्य के युवा सच्चे चौकीदार बनकर झूठे चौकीदारों को औकात दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि JNU के अध्यापक आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। मुझे विश्वास है यहां के अध्यापक भी कुलपति तक हमारी आवाज पहुंचाएंगे।

छात्र विनम्र, अहिंसक बनकर सत्याग्रही बनें
15 दिसंबर को बॉबे सैयद पर हुई घटना बहुत खतरनाक थी। अब हम सब खुलकर सामने आएं। विनम्र रहें, अहिंसक रहें। सत्याग्रही रहें। विविधता में एकता मानकर आगे बढ़ते रहें। 25 जनवरी की मध्य रात मशाल जुलूस निकालें।

 

Ajay kumar