Prayagraj Hanuman Mandir: संगम किनारे हनुमान जी का अनोखा मंदिर, यहां दर्शन के बिना गंगा स्नान माना जाता है अधूरा
punjabkesari.in Sunday, May 28, 2023 - 04:50 PM (IST)
प्रयागराज, Prayagraj Hanuman Mandir (सैय्यद आकिब रजा): हमारे देश में अनेकों मंदिर हैं जिनकी अलग-अलग मान्यताएं है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यूपी की धर्म नगरी कहे जाने वाले इलाहाबाद में संगम किनारे हनुमान जी का बहुत ही अनोखा मंदिर है। जहां पर उनकी लेटी हुई प्रतिमा की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही पूरा होता है।
इस मंदिर की विशेषता यह है की पूरे विश्व में सिर्फ यहीं संगम तट के किनारे बड़े हनुमान जी लेटे हुए हैं, जिनका पुराणों में भी ज़िक्र किया गया है। यहां भारी संख्या में भक्त आते हैं और दान देकर और आशीर्वाद लेकर जाते है। आदिकाल से ही पूजा पथ में हनुमान जी का विशेष महत्त्व है। क्योंकी हनुमान जी ही कलयुग के प्रत्यक्ष देवता और संकट मोचन है। हनुमान जी की पूजा करने वालों को इनके आशीर्वाद के साथ-साथ प्रभु श्रीराम और शनि देव की भी कृपा प्राप्त होती है। प्रयागराज के बड़े हनुमान जी के दर्शन के लिए लोग प्रदेश और देश के कोने-कोने से भक्त दर्शन देने के लिए आते हैं।
भक्त शिरोमणि हनुमान भक्ति और सेवा की मिसाल हैं जो अपने इष्ट भगवान् राम को जितने प्रिय उतने ही पूज्य श्रद्धालुओं के बीच है। संगम नगरी प्रयागराज के बड़े हनुमान मन्दिर में हर मंगलवार बजरंग बलि के भक्तों का जैसे सैलाब उमड़ता है। दुनिया का यह अकेला हनुमान मन्दिर है जहां हनुमान जी के पुनर्जन्म के प्रतीक विद्यमान हैं। पुराणों और धार्मिक ग्रंथों की माने तो लंका विजय के बाद प्रयाग के संगम के पास भरद्वाज मुनि से आशीर्वाद लेने राम अपने सेनानायकों के साथ भरद्वाज आश्रम पहुंचे। तब हनुमान इसी स्थान पर आकर अपनी सारी शक्ति खोकर यहां लेट गए और शरीर त्यागने की स्थति में पहुँच गए, तब ख़ुद मां सीता ने अपने सुहाग के सिन्दूर से बजरंग बलि को नई ज़िंदगी दी थी। इसके साथ ही मां जानकी ने ये भी कहा था कि, जो भी इस त्रिवेणी तट पर संगम स्नान पर आएगा उस को संगम स्नान का असली फल तभी मिलेगा जब वह हनुमान जी के दर्शन करेगा।
पुराण और धर्मशास्त्र बताते हैं कि राम के अनन्य भक्त हनुमान को दूसरी ज़िंदगी देने के साथ-साथ उन्हें त-उमर निरोग और शक्तिशाली बनने का वरदान मां सीता ने इसी स्थान पर हनुमान जी को अपनी सुहाग के सिन्दूर से पूरे शरीर का लेपन कर दिया जिसके बाद हनुमान जी की प्रतिमा में सिन्दूर लगाने का प्रचलन सामने आया। हनुमानभक्तों की उमड़ी यहां उमड़ी भारी भीड़ भी इसी उम्मीद को लेकर यहाँ आती है। संगम किनारे बजरंग बलि की यह लेटी हुई प्रतिमा रघुकुल की मर्यादा की प्रतीक सीता के द्वारा पवनपुत्र को दिए गए उस दूसरे जीवन की निशानी है जो सीता माता ने लंका विजय के बाद रावण के धुरंधरों के वार खाकर शक्तिहीन होकर लेट गए हनुमान जी को मिली है।
संगम के किनारे इस अनोखे मंदिर पर हर वक्त भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। प्रदेश के साथ-साथ देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं और अपनी मन्नतों को पूरा करते हैं। संगम तट पर लेटे हनुमान जी का यह मन्दिर दरअसल भक्त और भगवान् के बीच के उस समर्पण के अटूट बन्धन की एक मिसाल है जहाँ राम के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देने वाले हनुमान को अपने ईष्ट की तरफ़ से सेवा का ऐसा तोहफा मिला जिससे हनुमान को नई जिंदगी मिली और हमेशा निरोग और चिरायु होने का वरदान भी।