नहीं रहा टाइगर, UP पुलिस में सीओ के पद पर था तैनात

punjabkesari.in Tuesday, Jan 23, 2018 - 10:00 AM (IST)

बरेली: देश की लोक सेवाओं में इंसानों को अापने सेवा देते हुए देखा ही होगा, लेकिन उत्तर प्रदेश के बरेली में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे पढ़ने के बाद जानवरों के प्रति आपकी संवेदना और बढ़ जाएगी। जहां टाइगर नाम के एक काबिल कुत्ते को तिरंगे में लपेटकर अंतिम विदाई दी गई।

जानकारी के अनुसार टाइगर ने अपने 14 वर्षों के कार्यकाल में इतना शानदार काम किया कि उसे किसी कुत्ते को मिलने वाली उच्चतम रैंक पुलिस उप अधीक्षक (डीएसपी) से नवाजा गया था। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक पुलिसवाले इस कुत्ते ने 150 मामले अकेले सुलझाए थे। इस कुत्ते की खासियत ये थी कि वो जमीन, धरती, पानी, मैदान या जंगल में कहीं भी पुलिस को लाशों या आपराधिक घटनाओं के सबूत जुटाने हों, वह काम यह बखूबी करता था। ऐसा कुछ भी नहीं बचा जो उसने नहीं किया हो। इस टाइगर ने 16 जनवरी को अपनी आखिरी सांसे ली तो पुलिस ने उसका बकाया चुकता करने की ठानी और उसे श्रद्धांजलि दी।

टाइगर को तिरंगे में लपेटकर पारंपरिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए दफनाया गया। पुलिस महानिदेशक के कार्यालय ने मुजफ्फरनगर के एसएसपी को फोन कर टाइगर के बारे में पूछताछ की और उसकी अंतिम विदाई की तस्वीरें लखनऊ भेजने के लिए कहा। पुलिस महानिदेशक के जनसंपर्क अधिकारी राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि टाइगर के योगदान को देखते हुए और उसकी आत्मा की शांति के लिए उसके सम्मान में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

टाइगर के संचालक सतीश चंद्र ने बताया कि उसे हैदराबाद की कैनाइन क्लब ऑफ इंडिया (सीसीआई) नाम की एक सरकारी एजेंसी से लाया गया था। यह एजेंसी देश भर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के लिए कुत्तों की सप्लाई करती है। 26 जून 2003 को सीसीआई से टाइगर को लाया गया था। पुलिस में ज्वाइन करने से पहले टाइगर को 36 हफ्तों के कठोर प्रशिक्षण से गुजारा गया था। मध्यप्रदेश के टेकनपुर में कुत्तों के लिए नेशनल ट्रेनिंग सेंटर में टाइगर को प्रशिक्षण दिया गया था। जिसमें सीमा सुरक्षा बल के प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों के लिए ट्रैकिंग विस्फोटकों का पता लगाने, नशीले पदार्थों का पता लगाने, जैसे कार्य शामिल थे।