HC का आदेश- साइलेंसर बदलवा कर Sound pollution फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ दाखिल होगा हलफनामा

punjabkesari.in Thursday, Aug 12, 2021 - 10:19 AM (IST)

लखनऊ:  इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने दो पहिया तथा चार पहिया वाहनों में अलग साइलेंसर लगवा कर ध्वनि प्रदूषण फैलाए जाने पर नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों के सिलसिले में संबंधित अधिकारियों को आगामी 27 अगस्त तक हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं। न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया। पीठ इस मामले में पिछली 20 जुलाई को एकल पीठ द्वारा स्वत: संज्ञान में लिए गए मामले की सुनवाई कर रही थी। पीठ ने अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा को इस मामले में मदद के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया है। अदालत ने मेहरोत्रा को इस मामले में राज्य सरकार की वकील आकांक्षा दुबे से मदद लेने की इजाजत दी है।

अदालत के निर्देश पर इस मामले में कार्रवाई की स्थिति बताने के लिए परिवहन तथा गृह विभाग के प्रमुख सचिवों, पुलिस महानिदेशक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और लखनऊ के पुलिस उपायुक्त (यातायात) ने मंगलवार को अदालत में व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल किए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पिछली 20 जुलाई को शासन को दोपहिया वाहनों के साइलेंसर बदलवा कर ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।

न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन की पीठ ने बुलेट, हार्ले डेविडसन तथा कुछ अन्य कंपनियों की दोपहिया वाहनों के साइलेंसर बदलवाकर 80 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण फैलाने के बढ़ते चलन पर स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किया था। न्यायमूर्ति मोइन ने इस मामले को एक जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने और सक्षम पीठ के समक्ष पेश किए जाने के निर्देश देते हुए परिवहन तथा गृह विभाग के प्रमुख सचिवों, पुलिस महानिदेशक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और लखनऊ के यातायात पुलिस उपायुक्त को 10 अगस्त तक अपने-अपने हलफनामे दाखिल करके यह बताने को कहा था कि आखिर इस आदेश पर क्या कार्रवाई की गई।

अदालत ने कहा था कि स्कूटर तथा मोटरसाइकिल से निकलने वाले शोर की अनुमन्य सीमा 75 से 80 डेसिबल है। ऐसे में साइलेंसर बदलवा कर या उसमें छेड़छाड़ करके ध्वनि की सीमा 80 डेसिबल से ज्यादा कर दी जाती है। यह ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देता है लिहाजा इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
पीठ ने कहा था कि सक्षम प्राधिकारी ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया लिहाजा अदालत को ऐसे वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण की समस्या का संज्ञान लेना पड़ा।

 

Content Writer

Moulshree Tripathi