HC को फटकारः सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज पर ठोका 25 लाख जुर्माना

punjabkesari.in Friday, Nov 24, 2017 - 03:19 PM (IST)

लखनऊः उच्च न्यायालय ने लखनऊ के जीसीआरजी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पाने वाले सभी 150 छात्रों के दाखिले को रद्द कर दिया है, साथ ही कोर्ट ने कॉलेज को हर छात्र को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने कॉलेज पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। बता दें हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कॉलेज को राहत दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कॉलेज में छात्रों के दाखिले को रद्द कर दिए हैं।

HC को लगाई फटकार
दरअसल जीसीआरजी कॉलेज को वर्ष 2-17-18 के सत्र के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कॉलेज को एडमिशन लेने की अनुमति दे दी थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को फटकार लगाई है। बेंच ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में न्यायिक जिम्मेदारी को दरकिनार किया गया, डिविजन बेंच के एक जज ने आदेश में बदलाव करते हुए हाथ से लिखकर छात्रों को कॉलेज में दाखिला लेने की अनुमति दी।

HC के फैंसले को गलत ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने सभी छात्रों के प्रवेश पर रोक लगा दी है और कॉलेज को निर्देश दिया है कि वह हर छात्र को उसकी फीस लौटाने के साथ 10-10 लाख रुपए का मुआवजा दे। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कॉलेज पर 25 लाख रुपए का जुर्माना ठोकते हुए कहा कि यह पूरी तरह से अनुचित है कि छात्रों के दाखिले की अनुमति दी गई। गौरतलब है कि लखनऊ का जीसीआरजी मेडिकल कॉलेज उन 32 कॉलेज की लिस्ट में था जिनपर केंद्र ने अगले दो सालों तक दाखिले पर पाबंदी लगा दी थी। केंद्र के इस फैसले को कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन 28 अगस्त को कॉलेज ने अपनी याचिका को वापस ले लिया था और अगले दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले की अपील की थी।

SC ने तय की थी दाखिले की तारीख
1 सितंबर को डिविजन बेंच के जस्टिस वीरेंद्र कुमार और नारायण शुक्ला ने यह आदेश दिया कि छात्रों को कॉलेज में दाखिला लेने की अनुमति होगी ताकि वह 2017-18 सेशन में एमबीबीएस कोर्स को पूरा कर सके। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही देश के मेडिकल कॉलेज में दाखिले की अंतिम तारीख 31 अगस्त तय कर दी थी। बावजूद इसके 4 सितंबर को जस्टिस शुक्ला ने हाथ से लिखकर यह आदेश दिया कि छात्र 5 सितंबर तक कॉलेज में दाखिला ले सकेंगे। इसमे जस्टिस शुक्ला ने लिखा कि खुद से ही इसे सही किया है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। एमसीआई के वकील विकास सिंह ने कोर्ट को बताया कि डिविजन बेंच ने अपना फैसला बिना हमे समय दिए सुना दिया।