सीएए हिंसा पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, यूपी सरकार के हलफ़नामा से हाइकोर्ट असंतुष्ट, लगाई फटकार

punjabkesari.in Tuesday, Jan 28, 2020 - 12:20 PM (IST)

लखनऊ: सीएए के दौरान हुए हिंसा पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से कई सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस उत्पीडऩ की शिकायतों पर सरकार ने क्या कार्रवाई की है? कोर्ट ने जानना चाहा है कि विभिन्न समूहों और संगठनों द्वारा की गई शिकायतों के आधार पर पुलिस वालों और प्रशासनिक अधिकारियों पर कितने मुकदमे दर्ज किए गए हैं। यदि नहीं किए गए तो क्यों? कोर्ट ने अगली सुनवाई पर पूरा ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान कितने लोग मरे या घायल हुए। पुलिस के खिलाफ  कितनी शिकायतें दर्ज की गईं। घायलों के इलाज के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। मीडिया में प्रकाशित हो रही खबरों की सत्यता की जांच की गई या नहीं।

प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने दमनात्मक क्यों किया जबकि लोकतंत्र में शान्ति से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार सभी को है। सुनवाई कर रहे अधिवक्ता अजय कुमार सहित दर्जनों लोगों ने याचिकाएं दाखिल की हैं। सभी याचिकाओं में दोषी पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है।

याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने सरकार से पूछा है कि मृत लोगों के घर वालों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट दी गई या नहीं। कोर्ट ने राज्य सरकार को 17 फरवरी तक पूरे ब्योरे के साथ हलफ़नामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका पर केंद्र सरकार व राज्य सरकार की तरफ  से हलफ़नामा दाखिल किया गया है। राज्य सरकार का पक्ष अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और केंद्र सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने पक्ष रखा। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफ ए नकवी, सुप्रीमकोर्ट के वकील महमूद प्राचा सहित कई अन्य वकीलों ने बहस की।

पूर्व न्यायाधीश से जांच कराने की मांग
सीएए के दौरान हुए हिंसा की जांच हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश या एसआईटी से कराने और पुलिस कार्रवाई में घायल हुए लोगों का इलाज कराने की मांग की गई है। याची पक्ष के वकीलों का कहना है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों का उत्पीडऩ किया है। जिसकी रिपोर्ट विदेशी मीडिया में छपने से भारत की छवि को नुकसान हुआ है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, मेरठ व अन्य नगरों में पुलिस उत्पीडऩ के खिलाफ  शिकायतों की विवेचना कर कार्रवाई की जाए।

केंद्र सरकार की तरफ से जबाब दिया गया
केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि केंद्रीय सुरक्षा बल राज्य सरकार के बुलाने पर भेजे गए। कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए उचित कार्रवाई की गई है। राज्य सरकार का कहना था कि विरोध प्रदर्शन में हुई हिंसा में भारी संख्या में पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। पुलिस पर फायरिंग की गई। प्रदर्शनकारियों ने तोडफ़ोड़ और आगजनी कर सरकारी तथा व्यक्तिगत संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया है जिसकी विवेचना की जा रही है।


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Ajay kumar

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