देरी से मामले दाखिल करने की प्रथा पर हाईकोर्ट सख्त, कहा यह स्थिति अत्यंत विडंबनापूर्ण

punjabkesari.in Friday, Jan 05, 2024 - 08:49 AM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में 638 दिनों की देरी से दाखिल हुई याचिका पर सुनवाई करते हुए देरी को माफ करने से इनकार कर दिया। मौजूदा मामले में स्टांप रिपोर्टर ने 15 दिसंबर 2023 को याचिका की रिपोर्टिंग की तारीख पर 638 दिनों की देरी की सूचना दी है। इसके बाद 18 दिसंबर 2023 को याचिका दाखिल की गई।

याची द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से कोर्ट संतुष्ट नहीं
याचिका में देरी के लिए माफी मांगते हुए कहा गया है कि लंबी विभागीय प्रक्रिया के कारण मामला आईसीएआर मुख्यालय को भेजा गया और मुख्यालय की सहमति के बाद मामले को देरी के आधार पर चुनौती देने का निर्णय लिया गया है और इन सभी कार्रवाई में पर्याप्त समय लगा है। 17 दिसंबर 2021 के आक्षेपित आदेश को चुनौती देने में कुछ देरी हुई है जो जानबूझकर नहीं की गई है। यह वास्तविक देरी है, इसलिए कोर्ट को देरी माफ करते हुए योग्यता के आधार पर याचिका पर सुनवाई करनी चाहिए अन्यथा याची विभाग को अपूरणीय क्षति होगी। हालांकि कोर्ट ने याची के तर्कों को अस्वीकार करते हुए कहा कि याची द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से कोर्ट संतुष्ट नहीं है।



कोर्ट ने मामलों को दाखिल करने में अप्रत्याशित देरी पर गहरी नाराजगी जताई
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सचिव और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने मामलों को दाखिल करने में अप्रत्याशित देरी पर गहरी नाराजगी जताई और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि वास्तव में सीमा की एक बाधा है जो अच्छे मामलों को भी बिगाड़ सकती है। यह स्थिति अत्यंत विडंबनापूर्ण है, जहां उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है जो फाइलों पर बैठे रहते हैं और कुछ नहीं करते हैं।

Content Writer

Ajay kumar