इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी मेडिकल कॉलेजों में अवैध प्रवेश पर सरकार से मांगा जवाब

punjabkesari.in Tuesday, Oct 10, 2023 - 07:54 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य के निजी मेडिकल कॉलेजों में कम अंक पाने वाले कुछ उम्मीदवारों को पिछले दरवाजे से प्रवेश देने पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि एक ओर महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण, उत्तर प्रदेश ने स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश राज्य में निजी मेडिकल डेंटल कॉलेजों में कोई आरक्षण नहीं है और सीटें अनारक्षित हैं जबकि दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा शासनादेश का हवाला दिया गया है, जिसमें ओबीसी / एससी उम्मीदवारों के लिए अंकों की न्यूनतम कटऑफ 107 निर्धारित की गई है। यहां प्रश्न यह उठता है कि जब निजी मेडिकल कॉलेजों में कोई आरक्षण नहीं है तो याचिकाकर्ताओं की तुलना में बहुत कम अंक पाने वाले छात्रों को निजी मेडिकल कॉलेज में कैसे प्रवेश मिल गया। रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि कुछ विशेषाधिकार प्राप्त और उच्च संपर्क वाले उम्मीदवारों को पिछले दरवाजे से प्रवेश दिया गया है।



मामले में न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने तन्नू कुमारी व 10 अन्य की याचिका पर चल रही काउंसलिंग में 11 स्नातक सीटों को भरने से रोक दिया। याचियों ने हाईकोर्ट में बताया कि यूपी राज्य के डेंटल कॉलेजों में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा में वे उपस्थित हुए और 108-132 के बीच अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए। याची ओबीसी / एससी वर्ग से हैं, जिनके लिए कटऑफ 107 घोषित की गई थी जबकि सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ 138 है।



याचियों के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज के साथ- साथ निजी मेडिकल कॉलेज में शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए एमबीबीएस/बीडीएस पाठ्यक्रम के लिए काउंसलिंग में उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों को निर्देशों के अनुसार काउंसलिंग के बाद मॉप- अप राउंड होता है। खंड 2 (2) में पात्रता मानदंड में प्रावधान है कि सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज/ मेडिकल विश्वविद्यालय/ अल्पसंख्यक संस्थानों में एमबीबीएस/ बीडीएस प्रवेश को केवल यूपी का मूल निवासी ही आवेदन कर सकता है।

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Ajay kumar