पहले डाकू फिर कैसे बनी सांसद बैंडिट क्वीन, ब्रिटेन में पढ़ेंगे स्टूडेंट्स

punjabkesari.in Thursday, Jan 04, 2018 - 12:50 PM (IST)

जालौन: बैंडिट क्वीन फूलन देवी के नाम से लोग भली-भांति परिचित हैं, लेकिन अब ब्रिटेन के लोग भी फूलन देवी का इतिहास पढ़ेंगे। बता दें कि यूनिवर्सिटी ऑफ इंस्टागिलियर के प्रोफेसर ने फूलन देवी के इतिहास को ब्रिटेन में पढ़ाने को लेकर उनके परिवार से मुलाकात की। इतना ही नहीं बल्कि प्रोफेसर ने फूलन देवी के बारे में जानकारी करने के बाद परिवार को आर्थिक सहायता भी दी।

फूलन देवी के बारे में जानने के लिए इंग्लैंड के सफक प्रांत की यूनिवर्सिटी के भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रोफेसर मुकुल लाल और आगरा के मुकुल सब्बरवाल लंदन से जालौन के कालपी तहसील पहुंचे। उन्होंने पुलिस को अपना पूरा परिचय देते हुए फूलन देवी के गांव जाने की इच्छा जताई। पुलिस ने उन्हें सुरक्षा के साथ फूलन के परिवार से मिलने के लिए बीहड़ स्थित गांव शेखपुर गुढ़ा भेज दिया।

वहां पहुंचकर जैसे ही प्रोफेसर ने उनकी मां मुला देवी से फूलन के बारे में जिक्र किया वह गुस्सा हो गई और प्रोफेसर पर बरस पड़ी। बड़ी मुश्किल से पुलिस ने उन्हें बचाया। पुलिस ने गांववालों और फूलन की मां को समझाया। फूलन की बहन रामकली ने प्रोफेसर से बात की और उन्हें फूलन के बीहड़ से लेकर संसद तक के सफर की पूरी कहानी बताई। 

कौन हैं फूलन देवी
फूलन देवी डकैत से सांसद बनी एक भारत की एक राजनेता थी। उनका जन्म यूपी के एक छोटे से गांव गोरहा का पूर्वा में एक मल्लाह के घर हुअा था। फूलन की शादी 11 साल की उम्र में हुई थी, लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था। बहुत तरह की प्रताड़ना और कष्ट झेलने के बाद फूलन देवी का झुकाव डकैतों की तरफ हुआ था। धीरे-धीरे फूलनदेवी ने अपने खुद का एक गिरोह खड़ा कर लिया और उसकी नेता बनी।

गरीबों का पैरोकार
आमतौर पर फूलन को रॉबिनहुड की तरह गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। 1981  में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊंची जातियों के बाइस लोगों का एक साथ नरसंहार किया जो ठाकुर जाति के लोग थे। इंदिरा गांधी की सरकार ने 1983 में उनसे समझौता किया की उसे मृत्यु दंड नहीं दिया जाएगा। इस शर्त के तहत अपने 10 हजार समर्थकों के समक्ष फूलन ने आत्मसमर्पण कर दिया।

फूलन पर बनी फिल्म बैंडिट क्वीन
बिना मुकदमा चलाए 11 साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। फूलन ने अपनी रिहाई के बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने यूपी के भदोही सीट से चुनाव जीता और वह संसद पहुंची। 25 जुलाई, 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गई। 1994 में शेखर कपूर ने फूलन पर आधारित एक फिल्म बैंडिट क्वीन बनाई जो काफी चर्चित और विवादित रही।