Hamirpur Lok Sabha seat: हमीरपुर लोकसभा सीट का इतिहास, कब किसने किसको दी मात ?

punjabkesari.in Friday, Apr 05, 2024 - 05:39 PM (IST)

हमीरपुर: बुंदेलखंड के लोकसभा सीटों में से एक है हमीरपुर सीट, इस सीट पर अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। यह सीट बांदा मंडल का हिस्सा है। हमीरपुर यमुना और बेतवा नदी के किनारे बसा है। साथ ही यहां काफी पर्यटन स्थल भी हैं। इस सीट पर 17 बार हुए लोकसभा चुनाव में 7 बार कांग्रेस जीत चुकी है। 1952 से 1971 तक लगातार 5 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की, लेकिन 1977 में जनता पार्टी ने ये सीट कांग्रेस के हाथों से छीन ली। इस सीट पर 1980 में दुबारा कांग्रेस ने वापसी की और 1984 में भी कांग्रेस लहर में ये सीट कांग्रेस के पास ही रही, लेकिन 1989 में जनता दल ने कांग्रेस से ये सीट जीत ली। वहीं साल 1991 में हुए चुनाव में बीजेपी ने ये सीट जीती। इसके बाद 1996 और 1998 में भी बीजेपी ने ये सीट अपने पास ही रखी। 1999 में बसपा के अशोक चंदेल यहां से जीत कर संसद पहुंचे, जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा के राजनारायण भदौरिया ने यहां जीत हासिल की। वहीं 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा के विजय बहादुर सिंह यहां से संसद पहुंचे, लेकिन 2014 और 2019 के मोदी लहर में बीजेपी के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने इस सीट पर जीत हासिल की। 

इस लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं...जिनमें हमीरपुर जिले की हमीरपुर, राठ, जबकि महोबा जिले की महोबा, चरखारी और बांदा जिले की तिंदवारी विधानसभा सीटें शामिल है...

2022 के विधानसभा चुनाव में इनमें से यहां सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। सपा, बसपा समेत दूसरे क्षेत्रीय दलों का यहां से सूपड़ा साफ हो गया था। 

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हमीरपुर सीट पर मतदाताओं की संख्या कुल 17 लाख 38 हजार 107 थी, जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 47 हजार 611 थी। जबकि महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 90 हज़ार 451 थी। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 45 रही।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हमीरपुर सीट पर बीजेपी के कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने चुनाव जीता था। चंदेल ने बसपा प्रत्याशी दिलीप कुमार सिंह को चुनाव हराया था। पुष्पेंद्र चंदेल को कुल 5 लाख 75 हज़ार 122 वोट मिले थे, जबकि बसपा प्रत्याशी दिलीप कुमार सिंह को कुल 3 लाख 26 हज़ार 470 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह लोधी रहे, जिन्हें कुल 1 लाख 14 हज़ार 534 वोट पड़े थे। 

हमीरपुर लोकसभा सीट पर 2014 में हुए चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर बीजेपी के कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने चुनाव जीता था। चंदेल ने सपा प्रत्याशी विशंभर प्रसाद निषाद को हराया था। पुष्पेंद्र चंदेल को कुल 4 लाख 53 हज़ार 884 वोट मिले थे, जबकि विशंभर प्रसाद निषाद को कुल 1 लाख 87 हज़ार 96 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के राकेश कुमार गोस्वामी रहे। गोस्वामी को कुल 1 लाख 76 हज़ार 356 वोट मिले थे। 

अब एक नजर 2009 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर डालें तो इस सीट पर बसपा ने जीत दर्ज की थी। बसपा के विजय बहादुर सिंह ने कांग्रेस के सिद्धगोपाल साहू को हराया था। विजय बहादुर सिंह को कुल 1 लाख 99 हज़ार 143 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के गोपाल साहू को 1 लाख 73 हज़ार 641 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर सपा के अशोक कुमार चंदेल रहे थे। चंदेल को 1 लाख 65 हज़ार 938 वोट मिले थे। 

2004 के लोकसभा चुनाव में  इस सीट पर समाजवादी पार्टी के राज नारायण उर्फ रज्जू भैया ने यहां से जीत दर्ज की थी। राजनारायण ने बसपा के अशोक चंदेल को हराया था। राजनारायण को कुल 2 लाख 20 हज़ार 917 वोट मिले थे। वहीं बसपा के अशोक चंदेल को 1 लाख 83 हज़ार 763 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी गंगा चरण राजपूत रहे। गंगा चरण को 1 लाख 11 हज़ार 673 वोट मिले थे। 

हमीपुर संसदीय सीट पर पिछड़ी बिरादरी के साथ-साथ क्षत्रिय और ब्राह्मण वोटर्स चुनाव के समीकरण को बिगाड़ने में सक्षम हैं। हालांकि पिछले 2 चुनाव में जिस तरह से जीत मिली है उससे यही लगता है कि यहां पर जातिगत समीकरण ज्यादा कारगर नहीं है। फिलहाल यहां पर 22 फीसदी से अधिक दलित वोटर्स हैं। इनके अलावा मल्लाह, ब्राह्मण और राजपूत वोटर्स की भी अच्छी संख्या है। मुस्लिम वोटर्स की संख्या 8 फीसदी से अधिक है। बात अगर 2024 के लोकसभा चुनाव की करें तो भारतीय जनता पार्टी की कोशिश न सिर्फ इस सीट को बचाए रखने की है बल्कि जीत की हैट्रिक लगाने पर भी है। वहीं विपक्षी दलों की ओर से इस सीट पर फिर से कब्जा जमाने की योजना बनाई जा रही है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया। पार्टी ने चरखारी से पूर्व विधायक के पुत्र अजेंद्र सिंह राजपूत को प्रत्याशी घोषित किया है तो वहीं बीजेपी ने फिर से पुष्पेंद्र सिंह चंदेल पर भरोसा जताया है। 

 

Content Writer

Tamanna Bhardwaj