History of Kanpur Lok Sabha seat: कानपुर लोकसभा सीट का इतिहास, कब किसने किसको हराया?

punjabkesari.in Saturday, Apr 06, 2024 - 05:21 PM (IST)

History of Kanpur Lok Sabha seat: एशिया का मैनचेस्टर के नाम से जाना जाने वाला नगर है कानपुर। इसे हम लेदर सिटी के नाम से भी जानते हैं, क्यों कि यहां चमड़े उद्दोग भी काफी फैला हुआ है। कानपुर अपने व्यापारिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ राजनीतिक पृष्ठभूमि के लिए भी काफी मशहूर है। मौजूदा समय में बीजेपी के सत्यदेव पचौरी यहां से सांसद हैं।
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अगर बात करें इस सीट के इतिहास कि तो यहां अब तक 17 बार लोकसभा के चुनाव हुए हैं। पहली बार 1952 में हुए चुनाव में कांग्रेस के हरिहरनाथ शास्त्री ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1957 में हुए चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी एसएम बनर्जी ने जीत हासिल की। इसके बाद 1961, 19967 और 1971 के चुनाव में बनर्जी निर्दलीय ही चुनाव जीतते रहे, लेकिन 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के मनोहर लाल ने बनर्जी से ये सीट छीन लिया। वहीं 1980 और 1984 के चुनाव में कांग्रेस के मो. अहमद ने सीट कांग्रेस के पास रखी, लेकिन कारखानों की धरती वाले इस जमीन पर 1989 में हुए चुनाव में सीपीएम के सुभाषनी अली ने कांग्रेस से ये सीट छीन ली। इसके बाद यहां बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1991 में चुनाव जीता और जगतवीर सिंह सांसद बने। जगतवीर 1996 और 1998 के चुनाव में भी जीते, लेकिन कांग्रेस ने 2004 में श्री प्रकाश जायसवाल को चुनाव में उतारा और बीजेपी के हाथ से सीट छीन ली। जायसवाल 2004 और 2009 में भी यहां से जीतने में कामयाब रहे, लेकिन 2014 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी का इस सीट पर फिर से कब्जा हो गया और मुरली मनोहर जोशी यहां से सांसद बने। 2019 में भी ये सीट भाजपा के खाते में ही गई और बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया। कानपुर लोकसभा के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। आइए पहले आपको ग्राफिक्स के जरिए बताते हैं कि कानपुर जिले की कौन-कौन सी विधानसभा सीटें कानपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं।
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2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ गोविंद नगर सीट और किदवई नगर सीट बीजेपी की खाते में गई, जबकि बाकी तीनों सीटों पर सपा ने जीत दर्ज की थी। इस बार 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में कानपुर लोकसभा सीट पर 16 लाख 52 हजार 314 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे... जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 80 हज़ार 07 है, जबकि महिला वोटरों की संख्या 07 लाख 72 हजार 180 है.... वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 126 है।
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अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के के नतीजों पर डालें तो......साल 2019 में इस सीट पर बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने 4 लाख 68 हजार 937 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था....तो वहीं कांग्रेस श्रीप्रकाश जायसवाल 3 लाख 13 हजार 3 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे...जबकि सपा के रामकुमार 48 हजार 275 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।
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अब एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो…..कानपुर लोकसभा सीट पर 3 बार से लगातार कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल सांसद थे.. लेकिन 2014 में बीजेपी ने मुरली मनोहर जोशी को चुनावी मैदान में उतार कर जायसवाल को परास्त किया..इस चुनाव में मुरली मनोहर जोशी को कुल 4 लाख 74 हज़ार 712 वोट मिले थे...वहीं कांग्रेस के श्री प्रकाश जायसवाल को कुल 2 लाख 51 हज़ार 766 वोट मिले थे...तीसरे नंबर पर बसपा के सलीम अहमद रहे...सलीम को कुल 53 हज़ार 218 वोट मिले।
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2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के श्री प्रकाश जायसवाल तीसरी बार चुनाव जीते..जायसवाल ने बीजेपी के सतीश महाना को चुनाव हराया..श्री प्रकाश को कुल 2 लाख 14 हज़ार 988 वोट मिले थे...जबकि बीजेपी के सतीश महाना को कुल 1 लाख 96 हज़ार 82 वोट मिले..वहीं तीसरे नंबर पर बसपा की सुखदा मिश्रा रही...सुखदा को 48 हज़ार 374 वोट मिले थे।
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2004 में कानपुर लोकसभा सीट से श्री प्रकाश जायसवाल ही सांसद थे...जायसवाल ने बीजेपी के सत्यदेव पचौरी को चुनाव हराया...इस चुनाव में श्री प्रकाश जायसवाल को 2 लाख 11 हज़ार 109 वोट मिले थे...जबकि बीजेपी के सत्यदेव पचौरी को 2 लाख 5 हज़ार 471 वोट मिले थे...वहीं तीसरे नंबर पर सपा के हाजी मुश्ताक सोलंकी थे...सोंलकी को कुल 1 लाख 59 हज़ार 361 वोट मिले थे।
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कानपुर लोकसभा सीट उन सीटों में शामिल है, जहां से बसपा और सपा का कभी खाता नहीं खुला....अब कानपुर नगर संसदीय सीट के जातिगत समीकरण को देखें तो इस क्षेत्र को ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है. ब्राह्मण वोटर्स की संख्या करीब 7 लाख है और ये चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं.हालांकि यहां मुस्लिम वोटरों की भी अच्छी खासी संख्या है. इस सीट पर 5 लाख से अधिक मुस्लिम वोटर्स हैं. इनके अलावा दलित और अन्य पिछड़े वर्गों की संख्या 2 लाख से अधिक है....इस बार चुनाव में एक बार फिर मुकाबला कड़ा होने का आसार है...क्योंकि इस बार सपा और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रहे है, और ये सीट कांग्रेस के खाते में आई है..ऐसे में इस बार बीजेपी इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाएगी या फिर कांग्रेस पिछले 10 सालों का सूखा खत्म करेगी ये तो 4 जून को ही मतगणना के बाद पता चलेगा।

 


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Content Editor

Harman Kaur

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