14 साल की बच्ची के केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला- 'निजी अंग पकड़ना और नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म की कोशिश नहीं'

punjabkesari.in Thursday, Mar 20, 2025 - 10:53 AM (IST)

Prayagraj News: उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने एक विवादास्पद टिप्पणी की है जिसमें उन्होंने कहा कि "पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना, और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना रेप या रेप की कोशिश नहीं मानी जा सकती। इस टिप्पणी के बाद, कोर्ट ने 3 आरोपियों के खिलाफ दायर क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन को स्वीकार कर लिया।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कोर्ट ने आरोपी आकाश और पवन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और POCSO अधिनियम की धारा 18 के तहत लगे आरोपों को घटा दिया। अब उन पर धारा 354 (b) (नंगा करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और POCSO अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलेगा। इसके साथ ही, निचली अदालत को नए सिरे से सम्मन जारी करने का निर्देश भी दिया गया है।

जानिए, क्या है पूरा मामला?
बताया जा रहा है कि यह मामला 4 साल पुराना है, जब एक महिला ने 12 जनवरी, 2022 को कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। महिला ने आरोप लगाया कि 10 नवंबर, 2021 को वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ कासगंज के पटियाली में अपने देवरानी के घर गई थीं। लौटते समय गांव के रहने वाले पवन, आकाश और अशोक ने उन्हें रोका।पवन ने लड़की को अपनी बाइक पर बैठाकर घर छोड़ने का वादा किया। मां ने उस पर भरोसा किया, लेकिन रास्ते में पवन और आकाश ने लड़की के प्राइवेट पार्ट को पकड़ लिया। आकाश ने उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करते हुए उसके पायजामे की डोरी तोड़ दी। वहीं लड़की की चीख सुनकर वहां से गुजर रहे सतीश और भूरे ने मदद की, लेकिन आरोपियों ने उन्हें देसी तमंचा दिखाकर धमका दिया और भाग गए। जब पीड़िता की मां ने आरोपियों के पिता अशोक के घर जाकर बात की, तो उन्होंने उन्हें गाली-गलौज और धमकी दी। पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की, जिसके बाद महिला ने अदालत का रुख किया।

हाईकोर्ट में इस मामले में 3 प्रमुख सवाल उठाए गए:

- क्या लड़की के स्तनों को पकड़ना, पायजामे की डोरी तोड़ना और उसे खींचने की कोशिश करना बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में आता है?
- क्या विशेष न्यायाधीश ने समन जारी करते समय उचित न्यायिक विवेक का प्रयोग किया था?
- आरोपी पक्ष ने तर्क दिया कि यह मामला रंजिश का था, क्योंकि आकाश की मां ने पहले शिकायतकर्ता के रिश्तेदारों के खिलाफ छेड़छाड़ की FIR दर्ज करवाई थी।

वहीं आरोपियों की ओर से वकील अजय कुमार वशिष्ठ ने तर्क किया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप सही नहीं हैं। वहीं, शिकायतकर्ता की ओर से वकील इंद्र कुमार सिंह और राज्य सरकार के वकील ने कहा कि समन जारी करने के लिए केवल प्रथम दृष्टया मामला साबित करना आवश्यक होता है, विस्तृत सुनवाई की जरूरत नहीं होती। इस फैसले को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह न्यायिक प्रणाली पर विश्वास को प्रभावित करेगा और क्या ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Anil Kapoor

Related News

static