आवासीय मैप पर बना है होटल ग्रैंड प्लाजा, एस.डी.ए. मौन

punjabkesari.in Monday, Jan 01, 2018 - 07:31 PM (IST)

सहारनपुर: भले ही एस.डी.ए. अवैध निर्माणों के मामले में कार्रवाई का स्वांग रच रहा हो पर अवैध निर्माण अब भी बंद नहीं हैं। संकरी गलियों की क्या कहें मुख्य मार्गों पर भी अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहे हैं और विभागीय लोग ऐसे निर्माणों की शिकायत होने पर ही पहुंचते हैं।

उपाध्यक्ष ने आने के बाद कार्रवाई शुरू की थी पर बाद में उसी काकस से घिर गए जिसने ज्यादातर अवैध निर्माण कराया है। इसी काकस ने कल आकाश फर्नीचर को ध्वस्तीकरण से बचा दिया और कोर्ट रोड से गिल कोलोनी जा रहे रास्ते पर आवासीय मैप पर शहर के सबसे महंगे होटल का निर्माण करा दिया है। होटल के सीलबंद की तिथि पूर्व से निर्धारित है किन्तु उसे बचाया जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार सहारनपुर विकास प्राधिकरण (एस.डी.ए.) पूरे प्रदेश में अवैध निर्माण के मामले में बदनाम है। अवैध निर्माणों की गिनती स्वयं प्राधिकरण ने हजारों में कर रखी है किन्तु कार्रवाई एक प्रतिशत पर भी नहीं कर पाया है। अधिकतर पत्रावलियों में यही लिखा मिलेगा कि फोर्स की उपलब्धता न होने के कारण सीलबंद या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं हो सकी। लिहाजा आगे का समय निर्धारित किया जाए। ऐसी ही शिकायतों की जानकारी होने के बाद जिलाधिकारी ने प्राधिकरण और पुलिस अधिकारियों की संयुक्त बैठक कराकर अवैध निर्माणों के ध्वस्तीकरण के लिए समयबद्ध अभियान चलाने को कहा है। उसी को लेकर अगले 3 जनवरी को भी ध्वस्तीकरण अभियान चलेगा।

सूत्रों ने बताया कि सूचिबद्ध अवैध निर्माणों जिनकी सूची जिलाधिकारी को दी जा चुकी है उसमें डील के बाद ध्वस्तीकरण के आदेश को घुमा दिया जा रहा है। कल रजबाहा पटरी पर विनोद कुमार द्वारा बिना मैप के 20 वर्ष पूर्व बनाए गए शो रूम जिसमें आकाश फर्नीचर चल रहा है, को ध्वस्त करने का कार्यक्रम बना था किन्तु निर्माणकत्र्ता के द्वारा शमन मानचित्र देने के आश्वासन पर अभियान को टपरी रोड की ओर घुमा दिया गया। शमन मानचित्र लेने वाले अधिकारी को पता है कि इसका शमन नहीं हो सकता है और 20 वर्ष से कहां थे।

इसी प्रकार कोर्ट रोड के पाश्र्वनाथ प्लाजा के सामने से गिल कालोनी में जा रही गली में आवासीय मैप पर होटल गै्रंड प्लाजा का निर्माण हो गया है। यह होटल शहर के महंगे होटलों में शुमार भी किया जा रहा है पर प्राधिकारण के अधिकारी इस पर कार्रवाई करने की बजाय बचाने में लगा हुआ है। इस मामले में उपाध्यक्ष मनोज कुमार से पक्ष जानने के लिए फोन किया गया पर उनका फोन नहीं उठा और पक्ष नहीं जाना जा सका।