''करें जो गौ माता पर चोट, कैसे दें हम उसको वोट'', - बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
punjabkesari.in Monday, Jun 09, 2025 - 12:44 PM (IST)

रामपुर (रवि शंकर) : बिलासपुर तहसील के गुजरेला गांव में माता महाकाली महा सरसवती एवं खाटू श्याम बाबा की प्राणप्रतिष्ठा के कार्यक्रम में पहुंचे शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गौ माता को लेकर अपना रोष प्रकट किया और केंद्र व राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि हिन्दू हित की बात करने को कोई तैयार नही है। गौ माता जो हमारी संस्कृति का केंद्र थी, सरकारें उस से पूरी तरह उदासीन हैं। गौ हत्या रोकने लेकर कानून बनाना तो दूर, भारत गोमास के निर्यात में विश्व मे नम्बर एक पर आ गया है।
जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा हम सरकार से संतुष्ट होते तो हमें अलग से गोधाम निर्माण करके उसका संचालन करने की आवश्यकता क्यों पड़ती, जो प्रयास हो रहे हैं वह पूरी तरह से असफल दिखाई दे रहे हैं और गौ रक्षा का जो हमारा संकल्प है, गौ रक्षा के बारे में जो हमारे हिंदुओं की भावना है उसकी पूर्ति नहीं होती दिख रही है तभी तो बाकी काम छोड़कर इस काम के लिए आगे आना पड़ रहा है। हमारी जो कार्य के लिए बढ़ाने की प्रवृत्ति है इसी से पता चल रहा है कि नहीं हो रहा है इस क्षेत्र में काम, सरकारी जो अनुदान प्राप्त गौशालाएं हैं जब इसके बारे में हम लोगों के बीच कहा गया था तो बड़ा अच्छा लगा था कि सरकार अब इस मामले में सजग और सतर्क हो गई है। गौ माता अब इधर-उधर नहीं घूमेंगे और ना उन कसाई के हाथ में जाएंगे लेकिन यहां जो प्रस्थिति है वह सबके सामने है आज सबसे ज्यादा तकलीफ में हैं। तो लोग बताते हैं जो सरकारी गौशालाएं हैं वहीं पर गाय सबसे ज्यादा तकलीफ में दिखाई देती है तो यह प्रस्थिथि हैं जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है अच्छी योजना।
‘लेकिन गौ हत्या को सरकारों ने जारी रखा है’
शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, उनकी आज जो सबसे बड़ी चिंता है वह यही है उनकी संस्कृति का जो केंद्र रही गाय आज उसके प्रति भारत की सरकार बहुत बड़ी उपेक्षा का भाव दिखा रही है। इतना ही नहीं गौ मास का निर्यात, गौ हत्या को हम नहीं स्वीकार कर रहे थे लेकिन गौ हत्या को सरकारों ने जारी रखा है। इतना ही नहीं बहुत बड़ी मात्रा में, इतनी बड़ी मात्रा में कि पूरे विश्व में गौ मास का निर्यात करने वाले देशों में ऊंचा स्थान लगभग पहला स्थान अब भारत को मिल रहा है। दूसरे तीसरे नंबर पर था उसके पहले नंबर पर जाने की स्थिति है ब्राजील के बाद, यह क्या है? देश में जो बच्चे हैं हमारे जिनको आप कहते हैं कि इनका पोषण बहुत आवश्यक है और यही हमारे भारत देश के भविष्य हैं उनके लिए आपने सर्व शिक्षा अभियान चलाया है मिड डे मील दे रहे हैं लेकिन जो पोषक दूध है, जो परंपरा से भारत के बच्चों का पोषण करता रहा है। आज उसके बारे में भारत की कोई भी सरकार प्रदेशों की सरकार हो, चाहे केंद्र की सरकार हो कुछ नहीं कहना चाह रही है। बच्चों का पोषक दूध क्या यह निश्चित नहीं होना चाहिए? जब हमारी देसी जो गाय है उसका दूध हर तरह से बच्चों का पोषण प्रदान करता है तो एक या दो गिलास दूध बच्चों के लिए आरक्षित क्यों नहीं हो जाना चाहिए, लेकिन बच्चों के लिए तो यह नहीं हो रहा बड़ों के लिए भी शुद्ध दूध मिलना अब अपने देश में मुश्किल हो गया है। यूरिया का दूध बना करके जितनी भी खपत है उसको पूरा किया जा रहा है यहां तक की जो जागरूक मीडिया है वह भी इस बात को उठाता है नकली दूध मिल रहा है यूरिया से बनाया जा रहा है फैक्ट्रियां पकड़ी जा रही हैं सब हो रहा है लेकिन उसके बाद भी इसमें कोई कमी नहीं आ रही है।
अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि देश की जनता के स्वास्थ्य से बहुत बड़ा खिलवाड़ हो रहा है जबकि हमारे देश में परंपरा से हर घर में गाय रहती थी और उसका दूध ताजा-ताजा घर का बूढ़ा, घर का बच्चा, घर की मां, बहन पीते थे और उनके शरीर में जितने तत्वों की आवश्यकता होती थी उन सब अधिकांश को पूरा कर देते थे और इस तरह से भारत का स्वास्थ्य सदा सुरक्षित रहता था लेकिन अब स्थिति बदल गई है नकली सब चीज लोगों के सामने परोसी जा रही है।