बेटी पैदा होने पर महिला को मिली इतनी बड़ी सजा, पति ने कहा....
punjabkesari.in Tuesday, Feb 02, 2021 - 10:12 AM (IST)
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिला महिला अस्पताल में पुत्र की बजाय बेटी को जन्म देने वाली महिला से उसके पति और ससुरालीजनो ने इस कदर दूरी बना ली कि वह पिछले 10 दिनों से अपने जिगर के टुकड़े के साथ लावारिस की जिंदगी जीने को मजबूर है। जिला अस्पताल के वार्ड नंबर-9 में भर्ती आयशा ने 22 जनवरी को बेटी को जन्म दिया। बेटी के जन्म की सूचना मिलते ही पति, सास और ससुर नवजात कन्या देखे बगैर रफूचक्कर हो गए। काफी देर के बाद अस्पताल के बिस्तर पर लेटी महिला ने दूसरे मरीजों की सेवा में लगे तीमारदारों से विनती की कि वे बाहर बैठे उसके पति और ससुरालियों को वार्ड में बुला लाएं लेकिन वहां कोई भी नहीं था।
महिला का पति अपने अन्य परिजनों के साथ देवबंद के कोतवाली गांव भनेड़ा लौट गए थे। आयशा ने बताया कि दुखी और परेशान होकर उसने नगर मंड़ी कोतवाली क्षेत्र के गांव खाताखेड़ी निवासी अपने पिता नसीम अहमद को पूरी घटनाक्रम की जानकारी दी और वे अपनी बेटी और नवजात शिशु की देखभाल को जिला महिला अस्पताल पहुंचे।
आयशा ने बताया कि उसका पति और सास ससुर चाहते थे कि वह पुत्र को जन्म दे और ऐसा नहीं होने पर उसके शौहर ने कहा कि वह आजाद है और किसी दूसरे व्यक्ति से अपना निकाह कर ले। सीएमओ डॉ. बीएस सोढ़ी का कहना था कि यहां इस तरह की घटनाएं होना आम बात है। कोई कुछ भी नहीं कर सकता। हालांकि जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि वह पूरे मामले की उच्चाधिकारियों से जांच करा रहे हैं।
बता दें कि आयशा का निकाह डेढ़ साल पहले हुआ था। इस मामले में अवश्य ही विधिक कार्रवाई करेंगे। दारूल उलूम देवबंद के एक विद्वान से उनकी प्रतिक्रिया जानने पर कहा कि हजरत पैगम्बर साहब के यहां भी कोई बेटा नहीं जन्मा था और उनके यहां सभी संतानें पुत्रियां ही थीं। ऐसे में मुसलमानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनके पैगम्बर लड़कियों और लड़कों को लेकर क्या सोच रखते थे। जिस व्यक्ति ने बेटी को जन्म देने पर अपनी पत्नी को छोड़ दिया जाहिर है वह सच्चा मुसलमान हरगिज नहीं हो सकता।