भरण-पोषण मामले में हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश, कहा- पति का दायित्व पत्नी से कहीं अधिक, भले ही वह...
punjabkesari.in Friday, Jan 19, 2024 - 10:56 AM (IST)
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भरण-पोषण के एक मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि अगर पत्नी कामकाजी है और पर्याप्त जीविकोपार्जन कर रही है तो भी बच्चों की शिक्षा का खर्च सामान्यतः पिता द्वारा वहन किया जाना चाहिए। विवाह एक ऐसी संस्था है, जिसमें खर्चों को दोनों पार्टियों के बीच आनुपातिक रूप से साझा किया जाना आवश्यक है।
कामकाजी पत्नी होने से पति भरण-पोषण देने से छुटकारा नहीं पा सकता
कोर्ट ने आगे कहा कि कामकाजी पत्नी होने से पति भरण-पोषण देने से छुटकारा नहीं पा सकता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकलपीठ ने पति आशीष वर्मा द्वारा दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए पारित किया है। कोर्ट ने माना कि अपर प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, कानपुर नगर द्वारा दिनांक 5 जनवरी 2023 को पारित आदेश के अनुसार सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पत्नी और उनके दो नाबालिग बच्चों को दी जाने वाली भरण-पोषण राशि न तो बहुत अधिक है, न इसमें वर्तमान बाजार स्थितियों को देखते हुए किसी भी प्रकार की कटौती की आवश्यकता है।
पति की मासिक आय इतनी कम नहीं कि वह भरण-पोषण की तय राशि ना दे सके
याची के तर्कों पर विचार करते हुए कोर्ट ने माना कि पति की मासिक आय इतनी कम नहीं है कि वह भरण- पोषण की तय राशि ना दे सके। याची के वकील ने बहस के दौरान बताया विपक्षी/ पत्नी पढ़ी-लिखी है, और कपड़ों की सिलाई करके 20,000 से 25,000 रुपए प्रतिमाह कमा लेती है। हालांकि इसे सिद्ध करने के लिए याची कोई दस्तावेज नहीं दे सका। अंत में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा भरण-पोषण का पति का दायित्व पत्नी से कहीं अधिक है। कोर्ट ने आवेदन दाखिल करने की तारीख से दिसंबर 2023 तक भरण- पोषण का बकाया चार समान मासिक किस्तों में देना निश्चित किया।