मै जिंदा हूं... मुर्दा ''संतोष मूरत'' ने BDC प्रत्याशी के लिए किया नामांकन, जानें पूरा मामला

punjabkesari.in Monday, Apr 12, 2021 - 02:50 PM (IST)

वाराणसी: क्या कोई इंसान मर जाने के बाद भी जिंदा इंसान की तरह व्यवहार कर सकता है? और तो और क्या चुनाव भी लड़ सकता है? यह किसी भूत की बात नहीं हो रही है। चौकने वाले इन सवालों का जवाब हाँ है। क्योंकि वाराणसी के संतोष मूरत सरकारी दस्तावेजों में 20 वर्षों से मर चुके हैं और तभी से वे कोई ऐसा मौका छोड़ना नहीं चाहते जिससे वे एक बार फिर सरकारी फाइलों से जिंदा निकलकर सामने आ जाए। भले ही उनको चुनाव लड़ने का ही सहारा क्यों ने लेना पड़े।


संतोष मूरत की 20 साल पुरानी लंबी कहानी
बता दें कि यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एक से बढ़कर एक चौकाने वाले प्रत्याशी सामने आए। कहीं ब्यूटी क्वीन तो कहीं उम्र की अंतिम दहलीज पर भी चुनाव के मैदान में। लेकिन वाराणसी के चौबेपुर के छितौनी के संतोष मूरत ने सभी पर बाजी इसलिए मार ली, क्योंकि वे जिंदा तो है ही नहीं। इसके पीछे 20 साल पुरानी लंबी कहानी है।


मै जिंदा हूं... संतोष मूरत सिंह की कहानी उनकी जुबानी
वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक पर जाल्हूपुर क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) के पद के लिए पर्चा भरने वाले डेड मैन अलाइव संतोष मूरत सिंह बताते हैं कि 20 साल पहले उनके गांव में नाना पाटेकर एक फिल्म की शूटिंग करने पहुंचे थे। संतोष वाराणसी में अपना गांव छितौनी छोड़कर नाना पाटेकर के साथ 3 सालों तक रहें। संतोष के मुताबिक उन्होंने मुंबई में रहने के दौरान एक दलित युवती से शादी कर ली थी और वापस गांव आने पर जब उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा जुटाना शुरू किया तो पता चला कि उनके पाटीदार वाराणसी सदर तहसील के राजस्व विभाग में सरकारी दस्तावेजों में मृत दिखाकर संपत्ति हड़प चुके हैं और साढे 12 एकड़ जमीन अपने नाम करा लिए।


2017 में वाराणसी से ही विधानसभा का लड़ चुके हैं चुनाव
यहां तक कि गांव में उनकी तेरहवीं भी की जा चुकी है। उसी दिन के बाद से संतोष के जीवन में संघर्ष शुरू हो गया और अब तक संतोष खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। संतोष मूरत पहले भी 2017 में वाराणसी से ही विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। वे बताते हैं कि उसी पर RTI के तहत वे रिपोर्ट मांग रहें हैं कि चुनाव किसने लड़ा? जंतर-मंतर पर धरना देने से लेकर तिहाड़ जेल भी कौन गया?


चुनाव लड़ने के लिए संतोष को भीख में मिला प्रस्तावक
वे बताते हैं उनके पास पैसे भी नहीं है। इसलिए भीख मांगकर चुनाव में नामांकन के लिए जमानत राशि के लिए पैसे जुटाए और प्रस्तावक भी भीख मांगकर मिला है। न्याय की भीख 20 साल से मांगकर थक चुके हैं। उन्होंने बताया कि मानवाधिकार ने उनके मामले में वाराणसी के डीएम को तलब भी किया है। जिससे उनका मनोबल बढ़ा है। उनके जीवन पर सलमान खान तक के फिल्म बना लिए है। वे बतातें है कि 2012 में वे राष्ट्रपति के लिए पर्चा भरे थे। लोकसभा और विधानसभा में भी नामांकन किया था। लेकिन ज्यादातर रिजेक्ट हो गए। लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव में वाराणसी से लड़ चुके हैं। लेकिन उसके बावजूद बदलती सरकार और ट्रांसफर होते अधिकारियों के आश्वासन के बावजूद वे सरकारी फाइलों में मृत ही हैं। वे चुनाव इस लिए लड़ रहें हैं, क्योंकि वे खुद को जिंदा साबित करना चाहतें हैं।


संतोष सिंह अपनी लड़ाई में अकेले नहीं, कई युवा भी उनके साथ
ऐसा नहीं है कि संतोष मूरत सिंह अपनी लड़ाई में अकेले, बल्कि कई युवा भी उनके संघर्ष को देखकर उनका साथ देने के लिए आगे आ गए हैं। वाराणसी के रहने वाले प्रस्तावक, समाजसेवी जितेंद्र बताते हैं कि जब से उन्हें एक माह पहले संतोष के बारे में पता चला है तो वे उनकी मदद के लिए आगे आ गए हैं। संतोष दो दशक से सरकारी कागज में मृत हैं और इनकी जमीन को पटीदार कब्जा कर रखे हैं। इनके आगे पीछे कोई नहीं है और इनको डर भी है कि जमीन को हड़पने वाले इनको भी न मार दें। इसलिए ये अपने गांव भी नहीं जा सकते। इनके जज्बे को देखते हुए आगे आकर इनकी मदद कर रहें हैं और सिर्फ वहीं अकेले नहीं उनके साथ और भी यूथ इनके क्षेत्र में जाकर चुनाव के लिए प्रसार-प्रचार भी करेंगे।  

Content Writer

Umakant yadav