कुषाणकाल की मूर्तियां विश्व को करा रहीं भारत के दर्शन, कोरोनाकाल में कर रहीं “नमस्ते”

punjabkesari.in Sunday, Dec 13, 2020 - 01:31 PM (IST)

गोरखपुरः कोविड-19 का दौर चल रहा है जिसके रोकथाम के लिए सरकार और कई संस्थाएं काम कर रही है। प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। किसी से भी हाथ ना मिलाएं, किसी को छुएं नहीं, सोशल डिस्टेंसिग का पालन करें। ऐसे दौर में हमारी विरासत बड़ी प्रासंगिक हो जाती हैं कि प्रचीन काल से जो हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं हाथ जोड़कर अभिनंदन करना। जिसका आज पूरा विश्व अनुसरण कर रहा है।

बता दें कि गोरखपुर के राजकीय बौध्द संग्रहालय में पुरातात्विक अंदाज में नमस्ते करते हुए दो मूर्तियां लगाई गई हैं। नमस्कार की मुद्रा में ये दोनों कलाकृतियां कुषाणकालीन हैं और करीब 2 हजारा साल पुरानी हैं। कोविड संक्रमण को देखते हुए दोनों मूर्तियों को संग्रहालय प्रशासन ने दर्शकों के स्वागत के लिए प्रवेश द्वार पर लगाने का फैसला किया है। इस संक्रमण सें बचने के लिए लोग हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते कर रहे हैं। आगे बता दें कि संग्रहालय में नमस्कार की मुद्रा में दो कलाकृतियां है जिसमें एक पद्मपाणि अवलोकितेश्वर की है जिसमें हाथ जोड़कर अभिनंदन किया जा रहा है और दूसरी मूर्ति अंजली मुद्रा में युगल को दिखाया गया है दोनों अभिवादन की मुद्रा में है और ये दोनों कलाकृतियां कुषाणकालीन हैं।

बौद्ध संग्रहालय के उपनिदेशक मनोज कुमार गौतम ने बताया कि संग्रहालय प्रशासन ने अपने अंदाज में कोविड की रोकथाम के लिए प्रचार प्रसार करने का फैसला लिया है। ये मुर्तियां इस बात की भी तस्दीक करती हैं कि नमस्कार की मुद्रा भारत में नई नहीं है ये प्रचीन काल से हैं और इसका उल्लेख सिंधू सभ्यता में भी किया गया है । सिंधू सभ्यता में राखीगढ़ी, कालीबंगा  के साथ और भी कई पुरातात्विक स्थल है और साक्ष्य हैं जहां से हमें इस तरह के प्रमाण मिल चुके हैं।

 

Moulshree Tripathi