स्कार्फ पहनकर आई छात्रा को स्कूल का फरमान- ‘सिर ढकना है तो इस्लामिक स्कूल में पढ़ो’

punjabkesari.in Friday, Nov 24, 2017 - 05:52 PM (IST)

बाराबंकीः लखनऊ में सीएम योगी की सभा में मुस्लिम महिला का बुर्का उतारने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा कि एक ओर अजीबो-गरीब घटना सामने आई है। बाराबंकी में एक मिशनरी स्कूल ने मस्लिम छात्राओं को सिर ढंककर न आने का फरमान सुनाया है। स्कूल ने तो यहां तक कहा कि अगर अभिभावकों को अपनी बच्चियों को सिर ढंककर पढ़ाना है, तो मदरसे में एडमिशन करा लें।

स्कूल ने मुस्लिम बच्चियों के स्कार्फ पर जताई आपत्ति
दरअसल यह घटना बाराबंकी के नगर कोतवाली इलाके के आनंद भवन स्कूल में हुई है। आनंद भवन स्कूल मूलतः ईसाई मिशनरी स्कूल के रूप में विख्यात है। यहां की प्रिंसिपल अर्चना थॉमस ने सातवीं की एक छात्रा को कहा कि अगर वो अगले दिन से स्कूल आना चाहती है, तो उसे सिर का स्कार्फ हटाकर आना होगा। स्कूल ने मुस्लिम अभिभावकों को नोटिस भी भेजते हुए कहा था कि अगर वो स्कूल के ड्रेस का पालन नहीं करते हैं, तो वो अपने बच्चों को इस स्कूल से निकालकर किसी इस्लामिक स्कूल में डाल सकते हैं।

प्रिंसिपल ने जारी किया कड़ा फरमान
लेकिन बच्ची ने अगले दिन भी स्कार्फ नहीं हटाया तो प्रिंसिपल ने जबरदस्ती उसका स्कार्फ हटाने की कोशिश की और उसे बुरा-भला कहा। बच्ची ने बातचीत में बताया, 'मेरे पिता ने मेरे स्कार्फ पहनने को लेकर पहले ही परमिशन मांगा था, लेकिन प्रिंसिपल ने इनकार कर दिया था और जब मैं अगले दिन भी स्कार्फ पहनकर आई तो उन्होंने बुलाकर मेरा स्कार्फ निकाल दिया।

मुस्लिम अभिभावक ने जताई नाराजगी
वहीं बच्ची के पिता मोहम्मद रज़ा रिज़वी ने इस आदेश के पीछे का तर्क मांगा है।उन्होंने इस मामले की शिकायत सूबे के उप-मुख्यमंत्री, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री, एचआरडी मंत्री, अल्पसंख्यक आयोग, मानवाधिकार आयोग और बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास तक शिकायत की है, लेकिन फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

मंत्रियों से मांगा जवाब
पिता का कहना है, 'जब सिख पगड़ी पहन सकते हैं, तो मुस्लिम स्कार्फ क्यों नहीं लगा सकते?' उन्होंने कहा, 'हमारी आस्था के हिसाब से लड़कियां अपना सिर ढंककर रखती हैं। रिज़वी ने ये भी बताया कि स्कूल की ओर से परमिशन खारिज करने के लिए बहुत रूखे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। इस पूरे मामले पर स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि वो बस इतना ही कहना चाहती हैं कि अगर किसी को स्कूल के नियम-कायदों से दिक्कत है, तो वो अपने बच्चों को कहीं और ले जाइए।