बच्चों में कोरोना के नए लक्षण नजर आएं तो न करें नजरंदाज, जरूर पढ़ लें खबर

punjabkesari.in Sunday, May 16, 2021 - 10:31 AM (IST)

औरैयाः उत्तर प्रदेश के औरैया में आयोजित वेवीनार में एसजीपीजीआई लखनऊ के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पियाली भट्टाचार्य ने कहा है कि 18 साल तक के बच्चों में कोरोना अथवा अन्य किसी बीमारी के नये लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लेने की जरूरत है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत प्रदेश में संचालित 180 बाल गृहों में 18 साल के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित बनाने को लेकर शनिवार को कोविड वर्चुअल ग्रुप के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने गहनता से विचार-विमर्श किया और बच्चों में कोरोना के लक्षणों और बचाव के तरीकों पर अपनी बात रखी। कोविड वर्चुअल ग्रुप द्वारा आयोजित वेबिनार में बाल गृहों की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया। सभी का यही कहना था कि बाल गृहों में साफ-सफाई, बच्चों के खानपान और उनकी खास देखभाल की इस वक्त अधिक जरूरत है।

वेबिनार में उपस्थित एसजीपीजीआई, लखनऊ की वरिष्ठ कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन डॉक्टर पियाली भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो उनको नजरंदाज करने की कतई जरूरत नहीं है। बच्चों में डायरिया, उल्टी-दश्त, सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, आँखें लाल होना या सिर व शरीर में दर्द होना, सांसों का तेज चलना आदि कोरोना के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए यदि ऐसे लक्षण नजर आते हैं तो उसे नजरंदाज कतई न करें और लक्षण सामान्य हैं तो बच्चे को होम आइसोलेशन में रखें। बच्चा यदि पहले से किन्हीं बीमारियों की चपेट में रहा है और कोरोना के भी लक्षण नजर आते हैं तो उसे चिकित्सक के संपर्क में रखें। 

उन्होंने बाल गृह में रह रहे बच्चों का हेल्थ चाटर् बनाने पर जोर दिया और कहा कि यह चाटर् हर बाल गृह अपने पास रखें और उसको नियमित रूप से भरते रहें, उसमें बुखार, पल्स रेट, आक्सीजन सेचुरेशन, खांसी, दस्त आदि का जिक्र है, जिससे पता चलता रहेगा कि बच्चे को कब आइसोलेट करने की जरूरत है या कब अस्पताल ले जाना है। बच्चा ज्यादा रोये, गुस्सा करे या गुमशुम रहे तो उस पर भी नजर रखनी है और उसके काउंसिलिंग की जरूरत है। 

डॉक्टर पियाली ने कहा कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए उनके खाद्य पदार्थों में हरी साग सब्जी, दाल, मौसमी फल जैसे- तरबूज, खरबूज, नींबू, संतरा आदि को जरूर शामिल करें ताकि शरीर में रोग से लड़ने की ताकत पैदा हो सके। इसके अलावा हाई प्रोटीन का भी ख्याल रखें, बच्चे को पनीर, मठ्ठा, छाछ, गुड-चना आदि इसके लिया दिया जा सकता है। मांसाहारी को अंडा, मछली आदि दिया जा सकता है।

चिकित्सक ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है जो कि बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर सकती है, उस लिहाज से भी अभी वक्त है कि बच्चों में मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग और हैण्ड वाश की आदत डाली जाए, क्योंकि तीसरी लहर सितम्बर-अक्टूबर में आने की बात कही जा रही है। 
 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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