सावन में शिव भक्ति पर भी कोरोना कहर का असर, शिवालयों में न भीड़ न जयकार

punjabkesari.in Monday, Jul 06, 2020 - 03:01 PM (IST)

जालौनः वैश्विक महामारी कोरोना के कहर का असर सावन के पहले सोमवार के दिन मंदिरों में साफ तौर से देखने को मिला आमतौर से भगवान शिव के जयकारों से भारी भीड के बीच तड़के ही गुंजायमान होने वाले शिवालय आज सूनसान नजर आये। जिले के शिव मंदिरों में भी पुजारी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते नजर आए और ज्यादातर भक्तों ने घर में ही भगवान शंकर की पूजा अर्चना की।

आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य जग प्रसाद चतुर्वेदी ने बताया कि पहले दो-दो घंटे की शिफ्ट में सैकड़ों लोग यहां रुद्राभिषेक कराने आते थे जिसमें एक शिफ्ट में 15 से 18 लोग हुआ करते थे। वहीं इस बार कोरोना महामारी के चलते इस पर रोक लगाई गई है। उन्होंने बताया कि कालेज प्रांगण में बने शिवालय में रुद्राभिषेक तो होगा लेकिन उसमें आम लोगों के शामिल होने की मनाही है। केवल विद्यालय के छात्र ही उसमें रुद्राभिषेक करेंगे। बाहर से आने वाले किसी भक्त में यदि संक्रमण हुआ, तो अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा होगा। यही हाल शहर की मां संकटा मंदिर, हुलकी माता मंदिर, बड़ी माता मंदिर, ठड़ेश्वरी मंदिर स्थित शिवालयों के साथ साथ कालपी, कोंच, माधौगढ़ स्थित शिवालयों में देखने को मिला। इन मंदिरों के पुजारी भी सामूहिक रूप से पूजा कराने से बचते नजर आए।

गांधी महाविद्यालय मे संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष पं.शिवसम्पत द्विवेदी ने बताया कि कोरोना काल के बीच इस वर्ष सावन के महीने में एक बहुत ही अछ्वुत संयोग है इस बार पांच सोमवार पड़ रहे है। इस कारण भक्तों को सावन के पांच सोमवार तक भगवान की आराधना और साधना करने का अवसर मिलेगा। इस बार के पांच सोमवार इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि शंकर भगवान के भी पांच मुख है और पंच महाभूतों से मनुष्य का शरीर बना है। इसलिये सावन के महीने मे पडऩे वाले जो इन पांचों सोमवार को शिव जी की आराधना करेगा उसके सभी मनोरथ पूरे होगें।

उन्होंने बताया कि आज से श्रावण मास का आरंभ हो रहा है। श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है। शिव पुराण मे भगवान शंकर ने स्वयं इस माह का महत्व बताते हुए कहा कि इस माह मे जो भी मेरी पूजा अर्चना करता है उसे मेरी कृपा अवश्य प्राप्त होती है इसलिये श्रावण के महीने मे जो भी मनुष्य भगवान भोलेनाथ की आराधना करना है उस पर वह अवश्य कृपा करतें है। भगवान शिव के पांच मुख है। साथ ही मनुष्य का शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश के पंच महाभूतो से बना है। इस श्रावण माह के पांचों सोमवार मे भगवान शंकर की आराधना करने से भौतिक व दिव्य शरीर की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जो भक्त पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर और शहद) से भगवान भोलेनाथ की पूजा करेगा उसकी मनोवांछित इच्छाएं अवश्य पूरी होंगी। सावन के महीने मे सोमवार के व्रत करने का भी अलग महत्व है।

भगवान भोलेनाथ ने स्वयं कहा है कि सभी महीनों मे श्रावण का महीना मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका महत्व सुनने योग्य है इसलिये इसे श्रावण मास कहा जाता है। इस मास मे श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इस माह के महत्व के सुनने मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है। इसीलिये भी यह श्रावण का महीना कहलाता है। अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम्, अर्थात श्रावण मास मे अकाल मृत्यु दूर कर दीर्घायु की प्राप्ति के लिये तथा अन्य सभी व्याधियों को दूर करने के लिये पूजा की जाती है। मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकंडेय ने लंबी आयु के लिये श्रावण माह में ही घोर तप कर शिवजी की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने यमराज भी नतमस्तक हो गये थे। श्रावण मास मे सोमवार का व्रत भी अत्याधिक महत्वपूर्ण होता है। इस बार पहला सोमवार 06 जुलाई को, दूसरा सोमवार 13 जुलाई को, तीसरा सोमवार 02 जुलाई को, चौथा 27 जुलाई को, अंतिम सोमवार 03 अगस्त को होगा, इन दिनों मे भक्त शिव की आराधना कर शिव की कृपा प्राप्त कर सकतें हैं। 

Tamanna Bhardwaj