बच्चों को अभिभावकों के संबंधों की जटिलताओं से दूर रखना जरूरीः हाईकोर्ट

punjabkesari.in Friday, Feb 02, 2024 - 08:57 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माता-पिता के विवाद में बच्चों की कस्टडी के एक मामले में अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी देते हुए कहा कि बच्चों को अपने माता-पिता के संबंधों की जटिलताओं से दूर रखना आवश्यक है। इस संभावना से ने इनकार नहीं किया जा सकता कि हालात बदलने के साथ-साथ उन्हें अपने अभिभावकों के बीच तनावपूर्ण संबंधों की वास्तविकता पता चल जाए।



बच्चों का कोमल हृदय किसी प्रकार के झटके के लिए तैयार नहीं होता
हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चों का कोमल हृदय किसी प्रकार के झटके के लिए तैयार नहीं होता है। अगर उसे जबरन उसके प्राकृतिक परिवेश से अलग कर किसी ऐसे माहौल में रख दिया जाए, जिसमें वह सहज महसूस नहीं करता तो इसकी उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की प्रबल संभावना रहती है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति, श्रीमती ज्योत्सना शर्मा की एकल पीठ ने नाबालिग बेटे की कस्टडी की मांग करते हुए दाखिल पिता की याचिका को खारिज करते हुए दी।



5 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए मां को प्राथमिकता दी जानी चाहिए
कोर्ट ने आगे सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि 5 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए मां को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि वह बच्चों के कल्याण के लिए अंतिम पैरामीटर होती है। वर्तमान मामले में 4 साल के नाबालिग बच्चे के सामने अपने अभिभावकों में से किसी एक को चुनने का एक जटिल और संवेदनशील सवाल खड़ा है। कोर्ट ने बच्चे के कल्याण को सर्वोपरि मानते हुए उसकी कस्टडी के लिए पिता द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए मां को उसके पालन- पोषण की जिम्मेदारी सौंपी।

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Ajay kumar