पूर्वांचल में अंसारी बंधुओं पर माया का दाव

punjabkesari.in Wednesday, Mar 01, 2017 - 03:27 PM (IST)

लखनऊ:उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नजर है और अब दो चरणों के बाद परिणाम का इंतजार लोगों को रहेगा। यूपी में पांच चरणों का मतदान हो चुका है और अब अगले चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 7 जिलों की 49 विधानसभा सीटों पर मतदान 4 मार्च को होना है। अभी तक बसपा ने मायावती के बल पर प्रदर्शन किया है लेकिन छठे चरण के चुनाव में बसपा को एक दूसरा आधार मिल रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश का माफिया मुख्तार अंसारी अपने पूरे परिवार सहित हाल में बसपा में शामिल हुए हैं और इस क्षेत्र में उनका अपना आधार है जिसका फायदा बसपा को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

बलिया, गाजीपुर क्षेत्र में डॉन का है अच्छा खासा प्रभाव
इस बार के चुनाव में न केवल मुख्तार अंसारी मऊ से चुनाव लड़ रहे हैं, बल्कि उनके बड़े भाई और बेटा भी मैदान में हैं। मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्ला अंसारी मोहम्मदाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं, तो उनका बेटा अब्बास अंसारी घोसी विधानसभा सीट से बसपा के उम्मीदवार हैं। मुख्तार के दूसरे भाई तथा पूर्व सांसद एवं विधायक अफजल अंसारी कहते हैं कि वे एक राष्ट्रवादी परिवार से हैं। वे मानते हैं कि मुख्तार कोई शंकराचार्य नहीं हैं लेकिन लोग उन्हें अपराधी या माफिया इसलिए कहते हैं क्योंकि वह गरीबों के अधिकार के लिए लड़ते हैं। वह सामंतों के खिलाफ आवाज उठाते हैं। अफजल कहते हैं कि मुख्तार को वामपंथी नेता सरजू पांडेय से प्रेरणा मिली जो 60 के दशक में गाजीपुर से सांसद थे। उनका कहना है कि वह मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति नहीं करते हैं और किसी भी कौम के नेता नहीं हैं। उनकी सोच मुस्लिम से अधिक समाजवादी है। यूसुफपुर में अंसारी का बंगला है। अभी वहां गाड़ियों तथा पार्टी कार्यकर्त्ताओं की भीड़ लगी रहती है। वहां के स्थानीय नेता अनिल राय कहते हैं कि अंसारी को इस पूरे क्षेत्र का समर्थन मिलता है। उनका कहना है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों ही उन्हें पसंद करते हैं और उनकी लोकप्रियता का आकलन तो चुनाव में उनकी जीत से भी किया जा सकता है।

अखिलेश कर रहे डिस्को राजनीति
एक तरफ मुख्तार पिछले चार बार से मऊ से विधानसभा का चुनाव जीत रहे हैं, तो दूसरी ओर उनका भाई अफजल अभी विधायक हैं तथा गाजीपुर से सांसद भी रह चुके हैं। उनका दूसरा भाई सिबगतुल्ला अंसारी मोहम्मदाबाद से विधायक रह चुके हैं। उल्लेखनीय है कि उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी उनके चचेरे भाई हैं तथा उनके दादा डॉ. एम.ए. अंसारी कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। भारतीय सेना के ब्रिगेडियर उस्मान अंसारी इनके चचेरे दादा थे। ब्रिगेडियर अंसारी ने 1948 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी तथा इसी युद्ध में वह शहीद भी हो गए थे। मुख्तार के भाई सिबगतुल्ला कहते हैं कि विरोधी दल के लोग उनकी लोकप्रियता के कारण डरे हुए हैं। उनका कहना है कि युवाओं के बीच मुख्तार बहुत लोकप्रिय हैं और अभी तक कोर्ट ने उन्हें किसी मामले में दोषी करार नहीं दिया है। सपा के बारे में मुख्तार के भाई का कहना है कि वह मुलायम सिंह यादव की बहुत इज्जत करते हैं लेकिन अखिलेश मुलायम नहीं हैं। अखिलेश डिस्को राजनीति कर रहे हैं तथा जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं।

धर्मनिरपेक्ष मुसलमान के लिए राजनीति बहुत कठिन जगह
कम्युनिस्ट राजनीति से शुरूआत करने के बाद सपा में और फिर अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाने के बाद अब बसपा में आने वाले अंसारी कहते हैं कि धर्मनिरपेक्ष मुसलमान के लिए राजनीति बहुत कठिन जगह है। वह कहते हैं कि यूसुफपुर-मोहम्मदाबाद क्षेत्र में केवल 8 प्रतिशत मुस्लिम हैं लेकिन फिर भी वह चुनाव जीतते हैं। उन्हें हिंदू का पूरा समर्थन मिलता है। सिबगतुल्ला कहते हैं कि यू.पी. की सबसे गंभीर समस्या बेरोजगारी और अशिक्षा है। वह कहते हैं कि गाजीपुर में अफीम फैक्टरी होने के कारण ड्रग्स माफिया पैदा हो गए हैं और हजारों युवक नशे के शिकार होते जा रहे हैं। यहां के सरकारी कालेज बस नाम के हैं। सपा ने इस क्षेत्र की उपेक्षा की है। दूसरी ओर अफजल कहते हैं कि इस क्षेत्र में दो तरह के हिंदू हैं, लुटेरा हिंदू और कामेरा हिंदू। वह कहते हैं कि उनका समर्थन काम करने वाले हिंदुओं का है न कि लूटने वालों का। यही कारण है कि लोग हमें माफिया कहते हैं। इस क्षेत्र के आशुतोष राय का कहना है कि मुख्तार उन जैसे कई लोगों के लिए गॉड फादर हैं। वह ऐसे व्यक्ति हैं जो आपकी जेब से पैसा खर्च करके लोगों की मदद करते हैं। कुछ इसी तरह का ख्याल यहां के कई अन्य लोगों का है। इन लोगों का कहना है कि न केवल अंसारी बंधु यहां से जीतेंगे बल्कि ये लोग बलिया-गाजीपुर की करीब 10-12 सीटों को भी प्रभावित करेंगे।