शरीयत में नाजायज है मस्जिद की जगह कुछ और लेनाः देवबंदी उलेमा

punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2019 - 03:15 PM (IST)

सहारनपुरः अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी धर्मों के लोगों ने संतुष्टि जाहिर कि थी वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बैठक करके यह बता दिया है कि वह कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। वे इस फैसले को नहीं मानते। बैठक के बाद उन्होंने दोबारा अपील करने का फैसला लिया है। यही नहीं लॉ बोर्ड के इस फैसले का समर्थन देवबंदी उलेमाओं ने भी किया है।

बताते चलें कि असंतुष्टि पर उलेमाओं का कहना है कि फैसले के बाद मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन दी जा रही है। जिसे कोई मुसलमान कबूल नहीं कर रहा है। यह जमीन मुसलमानों को नहीं चाहिए। उन्होंने शरीयत का हवाला देते हुए कहा कि मस्जिद की जमीन के बदले दूसरी जमीन या कोई और चीज लेना शरीयत में नाजायज है। इसलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जो दो फैसले लिए है उसका समर्थन केवल हम ही नहीं बल्कि हिदुस्तान का हर मुसलमान करता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अब सुप्रीम कोर्ट में दोबारा अपील करने जा रही है।

वहीं ऑनलाइन फतवा विभाग के चेयरमैन मुफ़्ती अरशद फारूकी ने बताया कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या मसले पर फैसला आया है। उसी पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई है। बैठक में मुख्य रूप से दो अहम फैसले लिए लिए गए हैं। जिनमें एक फैसला है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नजरे सानी की शिकायत करेगा व सुप्रीम कोर्ट में दोबारा अपील करेगा।। वहीं दूसरी बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जो पांच एकड़ जमीन देने की बात कही है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उस जमीन को कबूल नही करेगा, क्योंकि बाबरी मस्जिद की जगह की एवज में पैसे लेना, जमीन लेना या कोई और चीज लेना शरीयत में जायज नही है।  वे दोनों फैसले बड़े अहम लिए गए हैं।

 


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Ajay kumar

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