गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव में BJP को इस वजह से भी करना पड़ा हार का सामना

punjabkesari.in Thursday, Mar 15, 2018 - 12:23 PM (IST)

लखनऊ: गोरखपुर और फूलपुर उप चुनाव मेंं मिली हार को भाजपा के नेताओं ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने माना है कि पार्टी नेतृत्व के उपेक्षित रवैये के चलते कार्यकर्ताओं ने पूरी क्षमता से काम नहीं किया और यही पार्टी की हार का कारण बना। चुनाव नतीजों के आने के बाद पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में अजीब सा सन्नाटा पसरा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र में मिली अप्रत्याशित हार से हर छोटा बड़ा नेता हतप्रभ था और हार के लिए अपने अंदाज में व्याख्या कर रहा था।

जानकारी के अनुसार हार से खिन्न पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर आप कार्यकर्ता को नजरअंदाज करते हो तो आपको चुनाव जीतने के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए। कार्यकर्ता किसी भी दल की जीवनरेखा होते है। उनकी उपेक्षा का मतलब है कि आपकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। पिछली 4 मार्च को एक संवाददाता सम्मेलन मेें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बढती दूरी के सवाल पर कन्नी काटते हुए कहा था कि कार्यकर्ता पूरे जोश में है और सक्रिय हैं। सिकंदरा उप चुनाव और स्थानीय निकाय में मिली जीत इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली हार के परिपेक्ष्य में योगी ने दावा किया था कि उनकी पार्टी फूलपुर और गोरखपुर में बडी जीत हासिल करेगी। लोग उनकी सरकार की कार्यशैली से बेहद प्रभावित हैं।

भाजपा नेता ने कहा कि एक रैली में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में एक मंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती की तुलना सूर्पनखा से करते है। दलितों की राजनीति करने वाली मायावती के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी भी पार्टी को भारी पडी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री द्वारा सपा बसपा के गठबंधन को सांप छंछूदर कहना भी लोगों को शायद नागवार गुजरा। उन्होंने कहा कि जनसभाओं में आपत्तिजनक बयानबाजी और जुबान पर नियंत्रण नहीं रखना भी जनता की नाराजगी की वजह बन सकती है। हमारे नेताओं को राजनीतिक मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए था।