दुर्गा भाभी के नाम से कांपती थी फिरंगियों की रूह, आजादी की लड़ाई में आयरन लेडी ने निभाई थी अहम भूमिका

punjabkesari.in Saturday, Aug 14, 2021 - 01:54 PM (IST)

कौशांबीः आयरन लेडी... ब्रिटिश हुकूमत मे इस नाम का जबरजस्त खौफ था। क्रांतिकारी पति की मौत के बाद सफ़ेद साड़ी मे लिपटी दुर्गा भाभी ज्वाला बनकर अंग्रेजों पर टूट पड़ी थी। उन पर देश की आजादी का जुनून इस कदर सवार था कि वह शहीद भगत सिंह की मदद करने अकेले ही लाहौर से चल पड़ी थी और हिन्दुस्तान की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाया था। जिस पिस्तौल से चंद्र शेखर आजाद ने अंग्रेजों से लड़ते समय खुद को गोली मार मौत की नींद मे सोये थे उसे दूरगा भाभी ने ही उन्हें दिया था।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के कौशांबी जनपद के सिराथु तहसील के शहजादपुर गाँव में 7 अक्तूबर 1902 को दुर्गा पंडित बाके बिहारी के घर जन्मी थी। उनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट मे नाजिर के पद पर तैनात थे तो बाबा जालौन जिला जेल मे थानेदार थे। महज 12 साल की उम्र मे दुर्गा का विवाह लाहौर के भगवती चरण बोहरा के साथ कर दिया गया था। पति भगवती चरण बोहरा भी क्रांतिकारी थे। 1920 मे ससुर की मौत के बाद दुर्गा भाभी के पति व उनके साथियों के साथ देश की आजादी के लिए खुलकर क्रांति आंदोलन मे आ गए।

दुर्गा भाभी ने प्रभाकर की डिग्री हासिल किया था। 28 मई को दूरगा भाभी के पति बम परीक्षण के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए। उसके बाद भी दुर्गा भाभी देश की आजादी के लिए जी जन से जुटी रही अंग्रेजों को गोली मारने के कारण दुर्गा भाभी  ही को गिरफ्तार भी कीया गया। दुर्गा भाभी ही का काम राजस्थान से पिस्तौल लाना व ले जाना था। वह शहीद भगत सिंह व चंद्र शेखर आजाद व उनके साथियों के साथ देश को आजाद करने के मुहिम मे कई मौकों पर सक्रिय रही। देश की आजादी के बाद दुर्गा भाभी ने शिक्षा की अलख जगाने के लिए लखनऊ मे सिटी मांटेन्सरी स्कूल की स्थापना किया। 14 अक्तूबर 1999 मे दुर्गा भाभी ने गाजियाबाद मे अंतिम साँस लिया।

दुर्गा भाभी के भतीजे उदय शंकर भट्ट ने बताया कि क्रन्तिकारी दुर्गा देवी का जन्म कौशांबी के शाहजादपुर गांव में हुआ था। और उन्होंने क्रांतिकारी के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था शारीरिक आर्थिक रूप से हर तरह मदद करती थी। उनके पति भी क्रांतिकारी थे वह बम परीक्षण में खत्म हो गए थे भगत सिंह को रिहा कराने में। और उन्हें मुंबई के गवर्नर के बंगले में गोली चलाई थी जिसे तीन साल तक नजर कैद रखा गया था लेकिन सबूत न मिलने पर बरी कर दिया गया था। इलाहाबाद में जब आजाद ने गोली मारी थी तब उनके साथ थी। वो राजस्थान से पिस्तौल और मौजा लाया करती थी। जिससे वो बताती थी कि पैरों में छाती में बांध देते थे उस समय शरीर की तलाशी नही होती थी। बंब के जो लंबे होल होते थे उनको बोरी में लाती थी मुल्तान से जहाँ पहुचना होता था उसको वहां पहुँचा दिया जाता था। हमको भी लगता उनके लिए जी जान से न्योछावर करना चाहिए।

क्रांतिकारी दुर्गा भाभी के बारे में भाजपा सिराथू विधायक शीतला प्रसाद पटेल का कहना है कि जिस तरह दुर्गा भाभी हिंदुस्तान की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाई थी उसको भूला नही जा सकता । दुर्गा भाभी का आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका थी वो राजस्थान से असलहा लाती थी और आजादी के सिपाहियों तक पहुचती थी । विधायक का कहना है कि कौशांबी के लिए गर्व की बात है। 

 


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Content Writer

Moulshree Tripathi

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