आजादी के पहले से भारत का हिस्सा रही है राजनीति: राजनाथ सिंह

punjabkesari.in Saturday, Apr 28, 2018 - 05:37 PM (IST)

लखनऊः अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में 21वीं सदी के भारत के विकास में युवाओं की भूमिका विषयक संगोष्ठी में गृहमंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि आजादी से पहले भी राजनीति होती थी। भगवान राम, श्रीकृष्ण, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, गांधी और सुभाष चंद्र बोस ने भी राजनीति की थी।

राम के हाथ में गई राजनीति तो भक्ति हो गई
राजनाथ ने कहा कि उनकी राजनीति में अंतर चरित्र का और मूल्यों के प्रति समर्पण का था। राम ने राम राज्य के लिए राजनीति की। श्रीकृष्ण ने धर्म की विजय के लिए राजनीति की। राजनीति राम के हाथ में गई तो भक्ति हो गई, कृष्ण के पास युक्ति, गांधी-सुभाष के हाथ में शक्ति, आजाद और अशफाक के हाथ में मुक्ति का माध्यम बनी। अगर भ्रष्ट नेता के हाथ में गई तो संपत्ति और अराजक तत्वों के हाथ में विपत्ति बन जाती है। राजनीति जैसे हाथों में जाएगी वैसी बन जाएगी। कि आज राजनीति के प्रति धारणा बदली है। अब उसे झूठ, धोखा देने वाली, पीठ में चाकू मारने वाली, पैर खींचने वाली ही माना जाता है लेकिन ऐसा नहीं है।

देश को सही मार्ग पर ले जाने वाली राजनीति को पुन: स्थापित करेंगे
उन्होंने कहा कि सही राजनीति, व्यवस्था को सही मार्ग पर ले जाती है। मैं युवाओं का आह्वान करता हूं कि वो देश को सही मार्ग पर ले जाने वाली राजनीति को पुन: स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा कि नौजवान को सिर्फ रोजगार और विकास तक ही नहीं सीमित रहना चाहिए। उसे सिर्फ रोजगार का उपकरण नहीं बनना चाहिए। उसकी राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। राजनाथ सिंह ने देश के पहले यूथ आइकन स्वामी विवेकानंद का उल्लेख करते हुए कहा कि इस देश की सर्वाधिक जनसंख्या लगभग 80-85 करोड़ युवाओं की है। नौजवान चरित्र, मूल्यों को और संस्कृति-परंपरा को आगे बढ़ाने का भी काम करें। तभी भारत दोबारा विश्व गुरू बनेगा।

सिर्फ रोजगार तक सीमित न रहें युवा 
राजनाथ सिंह ने कहा कि अटल जी के समय जीडीपी 3.5 से बढ़कर 8.4 तक पहुंची थी। भारत आज भी देश की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। युवा इस विकास के संवाहक बनें। युवा सिर्फ रोजगार तक सीमित न रहें। उन्हें अपने अंदर ज्ञान, शील, एकता का भी समावेश करना होगा। हमें राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होना होगा। इस अवसर पर उन्होंने एकेटीयू कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के प्रस्ताव पर आईईटी सभागार का नामकरण राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर किया।

Tamanna Bhardwaj