महंगाई ने फीकी की बकरीद त्योहार की रौनक, पिछले साल से अधिक दामों में बिक रहे हैं बकरे

punjabkesari.in Saturday, Jul 09, 2022 - 01:14 PM (IST)

प्रयागराजः बकरीद का त्योहार मुस्लिम समाज के लोगों का एक खास त्यौहार होता है। जिसे वह धूमधाम से मनाते है। लेकिन इस साल बढ़ती हुई महंगाई ने बकरीद के त्योहार की रौनक फीकी कर दी है। बकरीद में बकरा सबसे खास होता है और उसी से बाजार में रौनक होती है, लेकिन इस साल बकरों की कीमत बहुत बढ़ गई है। जिससे बाजार में उदासी छाई हुई है और बकरा मंडी भी ठंडी पड़ी हुई है। लोग बकरा खरीद तो रहे है लेकिन महंगाई होने के कारण कम मात्रा में ही बकरे की खरीदारी की जा रही है।

बता दें कि त्योहारों के सीजन में बाजारों में बहुत चहल पहल देखने को मिलती है। इस साल ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा। बाजार में दुकानों पर खरीदारी बहुत कम मात्रा में नज़र आ रहे है। इसकी वजह बढ़ती हुई महंगाई है। दरअसल बाजारों में सभी चीजों की कीमत बहुत बढ़ गई है, जिसके चलते अब बकरों की कीमतों में भी बहुत बुद्धि हो गई है। बकरीद पर हर साल बकरा सबसे ज्यादा खरीदा जाता है, लेकिन इस साल बकरे महंगे होने के कारण खरीददार बकरे बहुत कम मात्रा में खरीद रहे है। बकरा मंडी भी ज्यादा बकरे नजर नहीं आ रहे। फिलहाल जो भी बकरे मंडी में आए है राजस्थान, यमुनापार और आसपास के इलाकों से लाए गए है। हटिया इलाके से आया हुआ एक 100 किलो का बकरा और दिल्ली से आया बड़ी सींग वाला भेड़ा लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अधिकतर बकरों की कीमत 10 से 50 हजार तक है। पिछले साल जो बकरों की कीमत 15 हजार थी इस साल उनकी कीमत 25 हजार है।

बकरा मंडी के कारोबारियों का कहना है कि बकरों की कम खरीदारी होने का सबसे बड़ा कारण बढ़ती महंगाई ही है। उन्होंने बताया कि ट्रांसपोर्ट व ट्रेड टैक्स के साथ रुकना, जानवरों को चारा खिलाना इसमें जो खर्च आ रहा है, उससे व्यापारियों की बचत बहुत कम होती है। और इसी कारण ज्यादातर व्यापारी बकरा बेचने नहीं आ रहे। दूसरी तरफ बकरे की खरीदारी करने आए लोगों का कहना है कि बकरीद में बकरे की कुर्बानी देना हर मुसलमान का फर्ज है। इस लिए बकरा तो खरीदना ही होगा। लेकिन इस साल बकरे की कीमत बहुत ज्यादा होने के कारण कम बकरे ही खरीद रहे है।   


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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