जौनपुर: श्रमजीवी एक्सप्रेस बम विस्फोट कांड की 17वीं बरसीं कल, सभी ट्रेनों की सघन चेकिंग... रेलवे स्टेशनों पर बढ़ाई गई सुरक्षा

punjabkesari.in Wednesday, Jul 27, 2022 - 08:22 PM (IST)

जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 17 साल पहले श्रमजीवी एक्सप्रेस में हुए आतंकवादी हमले के आरोपी अभी तक पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के आश्वासन के बावजूद इस हादसे में मरने वालों के परिजन अब भी रेलवे में नौकरी मिलने की बाट जोह रहे हैं। इस हमले की 17 वीं बरसी 28 जुलाई (गुरुवार) को है।

जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बुधिराम यादव ने इस मामले में दो आरोपी आतंकवादियों क्रमश: आलमगीर उर्फ रोनी को 30 जुलाई 2016 और ओबेदुरर्हमान उर्फ बाबू भाई को 31 अगस्त 2016 को फांसी की सजा तथा 10 -10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी। शेष दो आरोपियों नफीकुल विश्वास व हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल के मामले में सुनवाई अब भी जारी है। 28 जुलाई 2005 को पटना से नई दिल्ली जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन के सामान्य डिब्बे में आतंकवादी धमाका हुआ था।       

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के हरपालगंज (सिंगरामउ) व कोइरीपुर (सुल्तानपुर) रेलवे स्टेशनो के बीच हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग पर श्रमजीवी एक्सप्रेस में हुए भीषण बम विस्फोट में 14 लोग मारे गये और कम से कम 90 लोग घायल हो गये थे। इस हमले में शैफफैजल, कुनाल, सुधीर कुमार, परमशिला, विनोद, रविदास, कमालुद्दीन, सुबास ठाकुर, कुमारी कविता, सुबोध बढ़ई, अरविन्द सिंह, संतोष, दिगम्बर चौधरी, सफीक उर्फ डब्बू और अमरनाथ चौबे की जाने गयी थी।       

विस्फोट के पीछे आतंकवादी ओबैदुरर्हमान उर्फ बाबू भाई (बंगलादेश) नफीकुल विश्वास (मुर्शिदाबाद), सोहाग खान उर्फ हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन (बंगलादेश), मोहम्मद आलमगीर उर्फ रोनी (बंगलादेश), डा सईद और गुलाम राजदानी का हाथ होने के बारे में पता चला। इसमें से डा सईद का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है, जबकि एक आरोपी गुलाम राजदानी उर्फ याहिया को मुठभेड़ में मारा जा चुका है। इस घटना को अंजाम देने की योजना राजशाही बांग्लादेश में बनी थी।      

इस घटना में शामिल रहे अन्य आतंकवादियों में से मो. शरीफ अभी फरार चल रहा है। उसकी गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद ली जा रही है। इस मामले में पुलिस ने पहले तीन आरोपी आतंकवादी क्रमश: ओबैदुरर्हमान, हिलालुद्दीन व नफीकुल विश्वास को पहले गिरफ्तार किया और तीनों को जौनपुर कारागर में बन्द किया गया। वर्ष 2007 में दिल्ली में मो0 आलमगीर उर्फ रोनी को गिरफ्तार किया और उसे तिहाड़ जेल में रखा गया है वही से हर पेशी पर जौनपुर लाया जाता था। इस मामले की सुनवाई जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश् ( प्रथम ) बुद्धिराम यादव कर रहे थे। दोनों के मामलों में आरोपियो को फांसी की सजा सुनायी जा चुकी है। इस समय इस मामले के दो आरोपियों नफी कुल विश्वास और हिलालुद्दीन उफर् हिलाल की सुनवाई जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) कर रहे हैं। इसी दौरान परीक्षण 2 आरोपी आतंकवादियो नफीकुल विश्वास व हिलालुद्दीन को एक अन्य मुकदमे के सिलसिले में हैदराबाद भेजा गया था। इसलिए इस समय केवल 2 आरोपियों ओबैदुरर्हमान और आलमगीर के विरुद्ध ही जौनपुर में कार्यवाई हो रही थी।       

अनेक घरों को उजाड़ देने और कई लोगों के भरण-पोषण का सहारा छीन लेने वाले इस काण्ड को हुए कल 17 वर्ष पूरा हो जायेगा। मगर तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा नौकरी के लिए दिया गया आश्वासन पूरा नहीं हो सका। इस हादसे में मरने वालों के परिजन आज भी रेलमंत्री पीयूष गोयल से नौकरी की आस लगाये बैठे हैं। इस मामले में दिल्ली के सहायक पुलिस आयुक्त संजीव यादव भी वतौर साक्षी अपना बयान दे चुके है।       

इस बीच श्रमजीवी बम काण्ड की घटना के आज 28 जुलाई को 17 वर्ष पूरा होने के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने सभी ट्रेनों की जांच का आदेश दिया है। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी ने एहतियातन जिले के सभी रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा बढ़ा दी है। ताकि दहशत फैलाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा सके।


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Content Writer

Mamta Yadav

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