झांसी रेलवे अस्पताल संसाधनों के अभाव में खस्ताहाल

punjabkesari.in Wednesday, Jan 17, 2018 - 06:23 PM (IST)

झांसीः  उत्तर मध्य रेलवे का झांसी मंडल एक ओर तो वर्ष 2017 -18 में कमाई के नया कीर्तिमान बनाने के लिए अपनी पीठ ठोक रहा है। वहीं दूसरी और यहां स्थित रेलवे अस्पताल का हाल बेहाल है। रेलवे अस्पताल में संसाधन और सुविधाओं की जबरदस्त कमी के चलते मरीजों का इलाज भगवान भरोसे ही चल रहा है।

संसाधन की कमी के कारण मरीज भगवान भरोसे 
अपने कर्मचारियों के कारण आय के नए नए रिकॉर्ड बनाता यह मंडल उनके और उनके परिजनों तथा अन्य मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर कितना संवेदनशील है इसका नजारा रेलवे अस्पताल में आसानी से देखा जा सकता है। रेलवे अस्पताल में विभागीय कर्मचारी एवं संसाधन की कमी के कारण मरीज भगवान भरोसे ही हैं।

मरीजों का इलाज सही ढंग से किया जाता है- चिकित्सा अधिकारी

इस अस्पताल में रेल कर्मी एवं उनके परिजनों का इलाज तो किसी तरह किया जाता है, लेकिन यात्री को इलाज के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ती है। चिकित्सक के पास कोई ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है जिससे मरीज को घंटा दो घंटा रोक कर इलाज किया जा सके। रेल में यात्री के साथ किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर उसे केवल प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है।  रेलवे अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अस्पताल में दवा की कमी नहीं है, केवल संसाधन उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके बावजूद मरीजों का इलाज सही ढंग से किया जाता है।

अस्पताल में महिला कर्मी व नर्सों की कमी
उन्होंने अस्पताल में महिला कर्मी व नर्सों की कमी होने की बात स्वीकार की।  रेलवे अस्पताल में संसाधनों का यह हाल है कि यात्री या अन्य के साथ टूट-फूट की घटना होने पर ड्रेसर की कमी के कारण किसी तरह मरहम पट्टी कर जिला अस्पताल या मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया जाता है, जिसकी दूरी रेलवे अस्पताल से दो और पांच किलोमीटर लगभग है। यहां तक जाने के लिे यात्री को या तो प्राइवेट वाहन का सहारा लेना पड़ता है या फिर निजी वाहन का। गंभीर स्थिति में मरीज को निजी नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ता है। कई मरीज की गंभीर स्थिति में होने पर चिकित्सक उसका इलाज भगवान भरोसे करते हैं।  

एेसी ही स्थिति उरई और बांदा में भी 
अस्पताल में महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण डिलीवरी या अन्य महिला रोगी के इलाज में भी काफी परेशानी होती है। ऐसा नहीं है कि यह स्थिति केवल इसी अस्पताल में है। उरई और बांदा के रेलवे अस्पताल में भी यही स्थिति है। रेलवे अस्पताल में नर्स एवं महिला कर्मी भी नहीं है। हाल ही के दिनों में नशाखुरानी की शिकार महिला यात्री के इलाज में काफी परेशानी हुई। हालात यह है कि डिलीवरी के लिए अस्पताल में आई महिला का इलाज भी अस्पताल में कार्यरत अटेंडेंट व फार्मासिस्ट के द्वारा ही किया जाता है।