झांसी के 3 गांवों में इस वजह से नहीं बजती लड़कों के घर शहनाई, जानिए इनकी दर्द भरी कहानी

punjabkesari.in Friday, May 04, 2018 - 09:01 AM (IST)

बुंदेलखंड: यूपी में बुंदेलखंड के झांसी जिले में 3 गांव ऐसे हैं जहां पानी की कमी से लड़कों की शादी नहीं होती है। इन गांवों के 80 फीसदी युवक कुंवारे हैं। कई युवक 40 साल की उम्र पार कर गए हैं। दर्जनों बूढ़े हो चले हैं, पर उनकी शादी नहीं हुई। ऐसा नहीं है कि लड़कों की शादी के लिए कोई आता नहीं है। अपनी लड़की का रिश्ता लेकर लोग आते हैं लेकिन पानी का संकट देखकर वापस नहीं आते। कहते हैं, जिस गांव में पीने का पानी तक नहीं, वहां हम अपनी बेटी की शादी कर उसकी जिंदगी तबाह नहीं करेंगे। झांसी मंडल मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर मोठ तहसील क्षेत्र के गांव परैछा, ढिमरपुरा और गनेशपुरा बीहड़ इलाके में बसे हैं, इन गांवों तक पहुंचने के लिए ठीक-ठाक सड़क भी नहीं है।

टूटे-फूटे रास्ते, सूखे हैंडपम्प
ऊबड़-खाबड़, उखड़े, टूटे-फूटे रास्ते से चलकर इन गांवों तक पहुंचना पड़ता है। तीनों गांवों में पीने के पानी की एक जैसी समस्या है। गांव की महिलाओं का पूरा दिन पानी के इंतजाम करने में गुजर जाता है। गांव में कुछ हैंडपम्प हैं लेकिन सब सूख चुके हैं। परैछा गांव में एक हैंडपम्प है जो रुक-रुक कर पानी देता है। लगातार 20 मिनट पानी निकाल लो तो वह भी ठप्प हो जाता है। इस हैंडपम्प में लोग दिन-रात लाइन लगाकर पानी का इंतजार करते रहते हैं।

डेढ़ हजार रुपए में एक पानी की टैंकर
परैछा मनेशपुरा, ढिमरपुरा के शिवाकांत, अयोध्याप्रसाद, हीरालाल, सुरेश चंद्रभवन ने बताया कि गांव वाले मिलकर टैंकरों से पानी मंगवाते हैं। एक टैंकर पानी 1500 रुपए से 2 हजार तक में मिलता है।

बेतवा नदी आखिरी सहारा
किसी वजह से अगर टैंकरों से पानी न मिला तब एक मात्र बेतवा नदी ही लोगों की प्यास बुझाने का आखिरी सहारा है। इन गांवों से 4 किलोमीटर दूर नदी बहती है। फिलहाल नदी में पानी है। पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। जंगल का रास्ता है। जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। महिलाओं और लड़कियों को नदी पर नहीं भेजा जाता। पानी लाने का काम पुरुष ही करते हैं।

मायके में नहीं रह पाती बेटियां
पानी की गम्भीर समस्या की वजह से गांव की बेटियों को माता-पिता एक दिन के लिए भी नहीं रुकने देते। कहते हैं, न पीने का पानी है, न नहाने को। क्या करेंगी रुक कर।

Anil Kapoor