राम जन्मभूमि में मिले मंदिर के पुरावशेष पर बोले जफरयाब जिलानी- नया कुछ नहीं ये सब पुरानी बाते हैं

punjabkesari.in Thursday, May 21, 2020 - 09:06 PM (IST)

अयोध्याः उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामलला के जन्मभूमि में 11 मई से जेसीबी से समतलीकरण व खुदाई का काम तेजी से चल रहा है। जल्द ही पूरे परिसर को समतल करके भूमि पूजन की तैयारियां शुरू होंगी। इस दौरान वहां से मंदिर के आमलक , मूर्ति युक्त पाषाण के खंभे , प्राचीन कुंआ , मंदिर के चौखट आदि तमाम पुरावशेष प्राप्त हुए हैं। इस बात को बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने मानने से इंकार कर दिया है।

परिसर से बरामद हो रहा सब पुराना हैः जिलानी
इस पर लोगों का कहना है कि ये वही अवशेष हैं जो साबित करते हैं कि मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाई गई थी। लोगों ने कहा कि ये मूर्तियां प्राचीन दौर की हैं इससे यह साबित होता है की मस्जिद से पहले वहां मंदिर था। जफरयाब जिलानी ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि वहां से नया कुछ नहीं बरामद हो रहा है। ये सारी बातें जो कही जा रही हैं सब पुरानी हैं। इन सब बातों की रिपोर्ट एएसआई ने खुद कोर्ट को सौंपी है।

सभी पिलर बाबरी मस्जिद के हैं मंदिर के नहीं
उन्होंने कहा कि ये जो पिलर बरामद हो रहे हैं सब बाबरी मस्जिद के हैं और इस बात को एएसआई ने खुद लिख कर कोर्ट में दिया है कि उस पर तमाम तरह की नक्काशी बनी हुई थी जो मुगलकालीन इतिहास को बताती हैं। साथ ही साथ वहां से बरामद होने वाली खंडित मूर्तियों पर भी जिलानी ने कहा कि जहां पर राम जन्मभूमि के अलावा शंकर चबूतरा भी था जहां पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित मूर्तियां रखी गई थी। जफरयाब जिलानी ने एक और सवाल करते हुए यह भी कहा कि मूर्तियों से यह साबित नहीं होता कि यह मूर्तियां मस्जिद निर्माण से पहले मंदिर में रखी गई थी। उन्होंने कहा कि 15वीं सदी में वहां पर मस्जिद का निर्माण हुआ था और ये मूर्तियां तब की है।

हमें मालूम था कि BJP इस मसले पर करेगी राजनीति
उन्होंने BJP पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह सिर्फ इस मसले पर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि हम खुद इस मलबे को मांग रहे थे हमें मालूम था कि इस पर राजनीति होगी इसीलिए हम चाहते थे कि बाबरी मस्जिद के मलबे को हमें सौंप दिया जाए जिससे उसकी बेअदबी ना हो। लेकिन BJP  अब इसी मलबे को राम मंदिर का बताकर राजनीति कर रही है।

 

 

 

 

 

 

 

Author

Moulshree Tripathi