ED का दावा: पत्रकार राणा अय्यूब ने NGO के नाम पर फंड का किया दुरुपयोग

punjabkesari.in Thursday, Oct 13, 2022 - 05:06 PM (IST)

लखनऊ: इडी ने पत्रकार राणा अयूब के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है। आरोप है कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से जुटाए गए 2.69 करोड़ रुपए का इस्तेमाल अपने लिए किया और विदेशी अंशदान कानून का भी उल्लंघन किया। संघीय एजेंसी ने 12 अक्टूबर को गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) में एक विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) अदालत के समक्ष अयूब के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की। निदेशालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘राणा अयूब ने धर्मार्थ के लिए निधि एकत्र करने के मकसद से अप्रैल, 2020 से ‘केटो प्लेटफॉर्म'' के जरिए तीन चैरिटी अभियान शुरू किए और कुल 2,69,44,680 रुपए एकत्र किए।

अयूब ने जुटाई गई धन राशि को बहन, भाई के खाते में किया ट्रांसफर 
उन्होंने बताया कि झुग्गी बस्ती में रहने वालों और किसानों के लिए धन जुटाने, असम, बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्य करने और भारत में कोविड से प्रभावित लोगों की सहायता करने के लिए अयूब और उनकी टीम की मदद करने के लिए ये अभियान चलाए गए थे। ईडी ने बताया कि जांच में पाया गया कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुटाई गई धनराशि अयूब के पिता एवं बहन के खातों में भेजी गई थी और इसे बाद में उसके व्यक्तिगत खातों में हस्तांतरित किया गया। एजेंसी ने कहा, ‘‘अयूब ने इन निधियों में से 50 लाख रुपए की राशि अपने सावधि जमा (FD) में रखी और 50 लाख रुपए एक नए बैंक खाते में भेजे गए। जांच में पाया गया कि राहत कार्य के लिए केवल 29 लाख रुपए का उपयोग किया गया था।

 राहत कार्य के लिए खर्च की गई राशि का बनाया फर्जी बिल 
बताया गया कि, ‘‘राहत कार्य के लिए अधिक राशि खर्च किए जाने का दावा करने के लिए अयूब ने फर्जी बिल जमा कराए।'' निदेशालय ने बताया कि अयबू के खातों में 1,77,27,704 रुपए (50 लाख रुपए की FD सहित) की राशि PMLA के तहत कुर्क की गई। ईडी ने आरोप लगाया कि अयूब ने 2.69 करोड़ रुपए ‘‘अवैध तरीके से'' जुटाए और आमजन को ‘‘धोखा'' दिया। एजेंसी ने कहा, ‘‘इन निधियों का इस्तेमाल निर्धारित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया था, बल्कि स्वयं के लिए संपत्ति के निर्माण में किया गया। अयूब ने इन निधियों को वैध दिखाने की कोशिश की है और इस तरह आम जनता से प्राप्त धन को लूटा गया।'' इसमें कहा गया है, ‘‘अयूब ने ये निधि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 के तहत अनिवार्य सरकारी मंजूरी के बिना या पंजीकरण कराए बिना विदेशों से भी प्राप्त की।'' धनशोधन का यह मामला दान दी गई निधियों में कथित अनियमितताओं को लेकर सितंबर, 2021 में दर्ज गाजियाबाद पुलिस की प्राथमिकी से संबंधित है। 

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Ramkesh