शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित होंगी ज्योतिर्मयी दास, कैंसर के लिए विकसित की है नई तकनीक

punjabkesari.in Tuesday, Sep 29, 2020 - 08:06 AM (IST)

कानपुरः  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर की एल्युमिनाई प्रो ज्योतिर्मयी दास को कैंसर समेत कई रोगों की दवाओं पर शोध करने और नई तकनीक विकसित करने के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से नवाजा जायेगा। प्रो दास इस साल संस्थान की ऐसी दूसरी हस्ती हैं जिन्हें प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा जाने का फैसला लिया गया है। इससे पहले संस्थान में ‘बायोलॉजिकल साइंसेज एंड बायो इंजीनियरिंग डिपाटर्मेंट' की एसोसिएट प्रोफेसर बुशरा अतीक को चिकित्सा विज्ञान की श्रेणी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी 2020 के लिए प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चुना गया।

संस्थान के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने प्रो.दास को उनकी उपलब्धि के लिये बधाई दी है। प्रो. दास मौजूदा समय में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस (आइएसीएस) में प्रोफेसर हैं। मूल रूप से उड़ीसा की निवासी प्रो दास ने विभिन्न अणुओं के संश्लेषण के लिए नई कार्य प्रणाली विकसित की है, जिसका उपयोग चिकित्सकीय लक्ष्यों की संरचना और कार्य का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कैंसर और कई गंभीर रोगों की दवाओं के अणुओं पर काम किया है।       

उन्होंने वर्ष 2003 में सिंथेटिक आर्गेनिक केमिस्ट्री से पीएचडी किया था। उन्होंने कटक की रेवनशॉ यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में एमएससी किया। आइआइटी से पीएचडी की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने 2004 से 2006 तक जर्मनी की फ्रीई यूनिवर्सिटी से फेलोशिप की। 2006 में ईएसपीसीआइ, पेरिस से एक वर्ष की पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप की। उन्हें 2007 से 2009 के बीच में यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज से मैरी क्यूरी फेलोशिप करने का मौका मिला। 2009 में उनकी नियुक्ति कोलकाता के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुई। यहां तीन साल रहने के बाद उन्होंने आइएसीएस को ज्वाइन कर लिया।


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Moulshree Tripathi

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