वाराणसी: 3 हजार साल पुराने नागकूप में दर्शन मात्र से दूर हो जाता है कालसर्प दोष

punjabkesari.in Tuesday, Aug 14, 2018 - 03:26 PM (IST)

वाराणसीः धर्म की नगरी काशी के नागकूप मंदिर में नागपंचमी की तैयारी जोरों पर हैं। मंदिर की दीवारों पर रंगाई का काम भी शुरू कर दिया गया है। मंदिर की मान्यता है कि नागपंचमी के दिन यहां दर्शन मात्र से काल सर्प दोष दूर होता है। जिसके चलते भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ती है। हर भक्त इस कूप में दूध चढ़ाने को आतुर होता है।

वाराणसी के जैतपुरा के नवापुरा क्षेत्र में एक ऐसा कुआ है जहां आज भी नागों का वास है। इस कुएं का वर्णन तमाम धर्म शास्त्रों में वर्णित है। शास्त्रों के मुताबिक, इस कूप के दर्शन से नाग दंश भय के साथ ही कालसर्प दोष से भी राहत मिलती है। इसलिए इस कुंड का नाम नागकूप है। करकोटक नाग तीर्थ के इस जगह पर महर्षि पतंजलि ने व्याकरणाचार्य पाणिनी के भाष्य की रचना की थी।

क्या होता है कालसर्प दोष?
जन्म कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं तो इससे नाग दोष लग जाता है, जिसे कालसर्प दोष कहते हैं। नागपंचमी के दिन इस कुंड में स्नान मात्र से यह दोष दूर हो जाता है। पूरे विश्व में कालसर्प दोष की सिर्फ 3 जगह ही पूजा होती है, उसमे से ये प्रधान कुंड है। ये लगभग 3 हजार साल पुराना है।

कूप का रास्ता सीधे जाता है नाग लोक 
मान्यता है कि इस कूप का रास्ता सीधे नाग लोक को जाता है। कूप की सबसे बड़ी महत्ता ये है कि यहां स्नान व पूजा मात्र से ही सारे पापों का नाश हो जाता है। 

Deepika Rajput