कोविड-19: BHU में शुरू हुआ पूल टेस्टिंग, जानें क्या है यह

punjabkesari.in Thursday, Apr 23, 2020 - 07:14 PM (IST)

वाराणसीः देश में तेजी से कोरोना वायरस अपना कदम बढ़ाता जा रहा है। इसके रोकथाम के लिए यह बेहद जरूरी है कि लोग जागरूक बनें और ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच हो सके। इसकी तैयारी भी शुरू हो चुकी है। जिसके तहत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की वायरोलॉजी प्रयोगशाला में कोविड-19 की पूल टेस्टिंग शुरू हो गई। इस तकनीक से एक बार में पांच लोगों की जांच हो रही है।

नहीं करना होगा रिजल्ट का इंतजार
बता दें कि पूल टेस्टिंग से ज्यादा लोगों की जांच हो सकेगी और रिजल्ट के लिए इंतजार नहीं करना होगा। वेटिंग में चल रहे सैम्पल की जांच दो दिन में पूरी हो जाएगी। बुधवार की रात तक वाराणसी में 480 लोगों की जांच रिपोर्ट का इंतजार हो रहा था। पूल जांच के लिए प्रयोगशाला को जिलाधिकारी का पत्र मिल गया था। इस पर विश्वविद्यालय ने अमल किया। कोरोना जांच में इस विधि को अपनाने से जांच की गति बढ़ी है।

प्रयोगशाला के प्रमुख प्रो. गोपालनाथ ने बताया कि कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए जांच की पूल विधि बहुत कारगर होगी। इसकी वजह से वेटिंग लिस्ट जल्द ही खत्म हो जाएगी। लेकिन इस बात का बड़ा ध्यान रखना होगा कि सैम्पल कलेक्शन सही तरीके से हो। उन्होंने सतर्क किया कि यदि सैम्पल लेने में गलती हुई तो जांच की विश्ववसनीयता खतरे में पड़ जाएगी।

जानें क्या है पूल टेस्टिंग
पूल टेस्टिंग यानी एक से ज़्यादा सैंपल को एकसाथ लेकर टेस्ट किया जाता है। यदि रिपोर्ट निगेटिव आई तो मान लिया जाएगा कि सभी पांच लोग निगेटिव हैं और पॉजिटिव आई तब उन पांचों लोगों की अलग-अलग जांच होगी। पूल टेस्टिंग का इस्तेमाल कम संक्रमण वाले इलाक़ों में होता है। जहां संक्रमण के ज़्यादा मामले हैं वहां पर अलग-अलग जांच की जाती है। ICMR के दिशा-निर्देशों के मुताबिक़ अधिकतम 5 लोगों की एकसाथ पूल टेस्टिंग की जा सकती है। कुछ लैब तीन सैंपल लेकर भी टेस्टिंग कर रही हैं। इसमें पहले लोगों के गले या नाक से स्वैब का सैंपल लिया जाता है फिर उसकी टेस्टिंग के ज़रिए कोविड-19 की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।

 

 

 

Author

Moulshree Tripathi